अमित शाह की टिप्पणी पर संज्ञान ले सर्वोच्च न्यायालय : मायावती
लखनऊ, 28 अक्टूबर (आईएएनएस/आईपीएन)। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह द्वारा सबरीमाला मामले पर उच्चतम न्यायालय के आदेश पर की गई टिप्पणी की रविवार को कड़ी निंदा की।
उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायलय को इसका संझान अवश्य लेना चाहिए।
मायावती ने आईपीएन को भेजे अपने बयान में कहा, “भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष व राज्यसभा सांसद का केरल के कन्नूर में उच्चतम न्यायालय को हिदायत देते हुए यह कहना अतिनिंदनीय है कि अदालत को ऐसे फैसले नहीं देने चाहिए, जिनका अनुपालन नहीं किया जा सके और न्यायालय को आस्था से जुड़े मामले में फैसला देने से बचना चाहिए। शाह की इस टिप्पणी पर शीर्ष न्यायालय को संज्ञान अवश्य ही लेना चाहिए।”
उन्होंने कहा कि केंद्र की सत्ताधारी पार्टी के अध्यक्ष के मुंह से निकले इस तरह के गैर-जिम्मेदाराना सार्वजनिक बयानों से यह स्पष्ट है कि देश का लोकतंत्र खतरे में है। ये लोग अहंकार में खुद को सर्वोच्च न्यायलय से भी ऊपर समझने लगे हैं। इसी तरह सीबीआई, सीवीसी, ईडी व भारतीय रिजर्व बैंक जैसी देश की महžवपूर्ण स्वायत्तशासी संस्थाओं में वर्तमान में जो गंभीर संकट का दौर चल रहा है, वह इसी तरह के गलत सरकारी नजरिये व अहंकार का दुष्परिणाम है।
मायावती ने कहा कि देश में न्यायालय व विभिन्न राजनीतिक पार्टियों के साथ-साथ देश की सवा सौ करोड़ आम जनता इस पवित्र सिद्धांत पर एकमत है कि देश संविधान से चलता है और इसी आधार पर आगे भी चलता रहेगा, लेकिन सत्ताधारी भाजपा के वर्तमान नेतृत्व द्वारा इस मामले में काफी उत्तेजक भाषणबाजी करके राजनीतिक रोटी सेंकने का प्रयास बार-बार किया जा रहा है, जो अतिगंभीर व अतिनिंदनीय है।
बसपा प्रमुख ने कहा कि अमित शाह वास्तव में साबरीमाला मंदिर मामले को लेकर इतना भड़काऊ, असंसदीय व असंवैधानिक भाषण देकर धर्म का राजनीतिक इस्तेमाल मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ व राजस्थान आदि राज्यों में हो रहे चुनावों में करना चाहते हैं, जो सर्वथा अनुचित है।
मायावती ने कहा कि वास्तव में साबरीमाला मंदिर में हर उम्र की महिलाओं के प्रवेश करने को महिलाओं का मौलिक व संवैधानिक अधिकार घोषित करने संबंधी सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के फैसले पर भाजपा को अगर आपत्ति है तो उसके लिए उन्हें सड़कों पर तांडव करने, हिंसा फैलाने तथा साथ ही केरल की निर्वाचित सरकार को बर्खास्त कर देने की धमकी देने का गलत रवैये अपनाने के बजाय कानूनी तौर से इसका उचित समाधान ढूंढने का प्रयास करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि केंद्र की सत्ताधारी पार्टी होने के नाते इस मामले में भी भाजपा का इस प्रकार का उग्र रवैया ना तो उचित है और ना ही कानूनी तौर से सही है, इसीलिए बसपा इसकी तीव्र निंदा करती है।