पटेल के रणनीतिक कौशल का नतीजा है एकजुट भारत : मोदी
नई दिल्ली, 28 अक्टूबर (आईएएनएस)| देश के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल की 31 अक्टूबर को जयंती से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की और कहा कि ‘एकजुट भारत’ पटेल की ‘सूझबूझ और रणनीतिक कौशल’ को समर्पित है। मोदी ने अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ के 49वें संस्करण में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को भी श्रद्धांजलि अर्पित की।
मोदी ने कहा, “31 अक्टूबर हमारी पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की भी पुण्यतिथि है। इंदिरा जी को हमारी सम्मानीय श्रद्धांजलि।”
राष्ट्र को एकजुट करने में पटेल के योगदान को याद करते हुए मोदी ने कहा कि उन्होंने सभी रियासतों के संप्रभु भारत में विलय को सुनिश्चित किया था।
मोदी ने कहा, “पटेल ने एक-एक कर समाधान निकाला और देश को एकता के सूत्र में पिरोने के असंभव कार्य को पूरा कर दिखाया। उन्होंने सभी रियासतों के संप्रभु भारत में विलय को सुनिश्चित किया। जूनागढ़ हो या हैदराबाद, त्रावणकोर हो या फिर राजस्थान की रियासतें। वह सरदार पटेल ही थे जिनकी सूझबूझ और रणनीतिक कौशल से आज हम एक हिंदुस्तान देख पा रहे हैं।”
प्रधानमंत्री ने 31 अक्टूबर को गुजरात के नर्मदा जिले में ‘स्टैचू ऑफ यूनिटी’ के अनावरण की भी घोषणा की जिसे पटेल की श्रद्धाजंलि के रूप में बनाया गया है।
उन्होंने कहा, “गुजरात में नर्मदा नदी के तट पर बन रही इस प्रतिमा की ऊंचाई अमेरिका के ‘स्टैचू ऑफ लिबर्टी’ से दो गुनी है। यह विश्व की सबसे ऊंची गगनचुंबी प्रतिमा है। हर भारतीय इस बात पर अब गर्व कर पाएगा कि दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा भारत की धरती पर है। माटी के बेटे पटेल अब आसमान की भी शोभा बढ़ाएंगे।”
उन्होंने लोगों से बड़ी संख्या में ‘रन फॉर युनिटी’ में भी भाग लेने का आग्रह किया। पटेल की जयंती के मौके पर देश भर में एक मैराथन का आयोजन किया जाएगा।
उन्होंने कहा, “देश का युवा ‘रन फॉर युनिटी’ में भाग लेने के लिए तैयार है। अब तो मौसम भी बहुत सुहाना है। मेरा आग्रह है कि आप सब बहुत बड़ी संख्या में इस दौड़ में भाग लें।”
मोदी ने इन्फ्रैंट्री डे को भी पटेल से जोड़ा जिसे आजादी के बाद जम्मू एवं कश्मीर में पाकिस्तानी घुसपैठियों को खदेड़ने के लिए सेना के नेतृत्व में सैन्य कार्रवाई की पहली जीत के रूप में मनाया जाता है।
उन्होंने कहा, “हमने कल (शनिवार) को इन्फ्रैंट्री डे मनाया। इस ऐतिहासिक घटना का सरदार वल्लभभाई पटेल से सीधा संबंध है। मैं भारत के महान सैन्य अधिकारी रहे सैन मानेकशॉ का एक पुराना साक्षात्कार पढ़ रहा था। उस साक्षात्कार में मानेकशॉ उस समय को याद कर रहे थे जब वह कर्नल थे। इसी दौरान कश्मीर में सैन्य अभियान शुरू हुआ था।”
उन्होंने कहा, “फील्ड मार्शल मानेकशॉ ने उस साक्षात्कार में बताया कि किस प्रकार एक बैठक के दौरान कश्मीर में सेना भेजने में हो रहे विलंब को लेकर पटेल नाराज हो गए थे। पटेल ने बैठक के दौरान अपने खास अंदाज में उनकी तरफ देखा और कहा कि कश्मीर में सैन्य अभियान में जरा भी देरी नहीं होनी चाहिए और जल्द से जल्द इसका समाधान निकाला जाए। इसके तुरंत बाद सेना के जवानों ने कश्मीर के लिए उड़ान भरी और हमने देखा कि किस तरह से सेना को सफलता मिली।”