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सीबीआई निदेशक को हटाने के लिए मोदी ने रची कुटिल साजिश : कांग्रेस

नई दिल्ली, 27 अक्टूबर (आईएएनएस)| कांग्रेस ने शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री कार्यालय, केंद्रीय सतर्कता आयुक्त (सीवीसी) के. वी. चौधरी और कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) पर केंद्रीय जांच आयोग (सीबीआई) निदेशक आलोक वर्मा को किनारा करने की साजिश रचने का आरोप लगाया। कांग्रेस ने कहा कि राफेल सौदे की जांच के डर से वर्मा को कार्यभार से मुक्त किया गया।

कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने यहां एक प्रेसवार्ता में कहा, “मोदी सरकार और केंद्रीय सतर्कता आयुक्त के बीच मध्यरात्रि में रची गई कुटिल साजिश और कपट चाल की पोल अब खुल गई है।”

उन्होंने कहा कि डीओपीटी और सीवीसी के माध्यम से मध्यरात्रि में सीबीआई निदेशक को उनके पद से हटाया गया।

वर्मा को हटाने के संबंध में सुरजेवाला ने कहा, “चौधरी 23 अक्टूबर को डेनमार्क जाने वाले थे, लेकिन उन्होंने बैठक करने और वर्मा के खिलाफ आदेश जारी करने के लिए अपना दौरा रोक दिया।”

कांग्रेस नेता ने कहा कि मंगलवार को रात 11 बजे सीबीआई संयुक्त निदेशक एम. नागेश्वर राव को सीवीसी के आदेश आने की संभावनाओं के मद्देनजर एजेंसी के मुख्यालय पहुंचने की सूचना दी गई।

कांग्रेस नेता का दावा है कि रात 11.30 बजे दिल्ली पुलिस आयुक्त ने अपने मातहतों को एक ऑपरेशन के लिए अलर्ट किया। उनको खान मार्केट इलाके में पहुंचने को कहा गया, जहां से सीबीआई मुख्यालय कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर है। उन्होंने कहा कि आधीरात को आयुक्त ने अपनी टीम को बताया कि दिल्ली पुलिस सीबीआई मुख्यालय को अपने कब्जे में लेगी।

सुरजेवाला ने कहा, “लेकिन दिल्ली पुलिस जब एजेंसी के मुख्यालय पहुंची तो वहां सीआईएसएफ (केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल) के जवान तैनात थे। उनको प्रवेश करने से रोक दिया गया। बाद में सीआईएसएफ को दिल्ली पुलिस को प्रवेश करने की अनुमति देने का आदेश मिला। उसके बाद उसने सीबीआई मुख्यालय को कब्जे में ले लिया।”

उन्होंने कहा कि जब दिल्ली पुलिस ने सीबीआई मुख्यालय को कब्जे में लिया तब चौधरी अपना आदेश लिख रहे थे। कांग्रेस नेता ने कहा, “उसके बाद सीवीसी का आदेश डीओपीटी सचिव सी. चंद्रमौलि के दफ्तर भेजा गया, जहां वह देर रात तक उस आदेश का इंतजार कर रहे थे।”

सुरजेवाला ने कहा, “चंद्रमौलि उसके बाद आदेश लेकर रात एक बजे नियुक्ति मामले की मंत्रिमंडलीय समिति के पास लेकर गए, जिसके अध्यक्ष प्रधानमंत्री हैं। इसके बाद उन्होंने वर्मा को निदेशक पद से हटाकर राव को एजेंसी का अंतरिम प्रमुख नियुक्त किया।”

सुरजेवाला का दावा है कि रात करीब 2.30 बजे सीवीसी और डीपोपीटी के अतिरिक्त सचिव लोक रंजन सीबीआई मुख्यालय पहुंचे। उन्होंने दावे के साथ कहा कि उसके बाद वे राव के साथ राफेल घोटाले की फाइल लेकर बाहर आए, जोकि वर्मा के दफ्तर में थी।

कांग्रेस नेता ने बताया कि दिल्ली पुलिस स्थापना अधिनियम 1946 की धारा 4ए और 4बी के तहत सीबीआई निदेशक की नियुक्ति या तबादला या निष्कासन चयन समिति ही कर सकती है। उन्होंने बताया कि चयन समिति में प्रधानमंत्री, भारत के प्रधान न्यायाधीश और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष शामिल होते हैं।

उन्होंने कहा, “यह (वर्मा के खिलाफ कार्रवाई) इसलिए किया गया क्योंकि 24 अक्टूबर को वर्मा पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी द्वारा दी गई राफेल सौदे की शिकायत की जांच करने जा रहे थे।”

उन्होंने कहा कि यही कारण है कि वर्मा को हटाने के बाद एजेंसी के 12 अधिकारियों का तबादला किया गया।

उन्होंने कहा, “सिर्फ प्रधानमंत्री इन सवालों का जवाब दे सकते हैं। लोग इस साजिश के लिए जवाब मांग रहे हैं।”

 

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