सीबीआई निदेशक को ‘हटाने’ को लेकर भाजपा पर बरसा विपक्ष
नई दिल्ली, 24 अक्टूबर (आईएएनएस)| विपक्ष ने बुधवार को नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार पर केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) निदेशक आलोक वर्मा को ‘हटाए’ जाने को लेकर हमला बोला। कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट में कहा, ” मोदी सरकार ने सीबीआई की आजादी में आखिरी कील ठोंक दी है। सीबीआई का व्यवस्थित विध्वंस और विघटन अब पूरा हो गया है। एक वक्त की शानदार जांच एजेंसी, जिसकी ईमानदारी, विश्वसनीयता और भरोसे को खत्म करने का काम प्रधानमंत्री ने किया है।”
उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री मोदी सीबीआई निदेशक को बर्खास्त करने के लिए जो सीधे नहीं कर सकते, गुप्त रूप से और चुपके से करना चाहते हैं। मोदी सरकार और भाजपा द्वारा गंभीर आपराधिक मामलों की जांच में सीबीआई के निरंतर दुरुपोयग के माध्यम से बाधा डालने की आदत ही इस अव्यवस्था का सबसे बड़ा कारण है।”
उन्होंने कहा कि ‘प्रधानमंत्री ने सीबीआई की इस गुप्त लूट के जरिए अपने बदनाम मोदी के गुजरात मॉडल का असली रंग प्रदर्शित किया है।’
सुरजेवाला ने सवाल उठाते हुए कहा कि क्या राफेल घोटाले में भ्रष्टाचार की जांच करने में उत्सुकता दिखाने के कारण सीबीआई निदेशक को ‘बर्खास्त’ किया गया है।
उन्होंने कहा, “क्या यह अपनी गलती को छिपाने का प्रयास नहीं है? प्रधानमंत्री जवाब दीजिए।”
वहीं, आम आदमी पार्टी सुप्रीमो और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस कदम को उठाने के लिए सरकार के अधिकार को लेकर सवाल उठाया।
उन्होंने एक ट्वीट में कहा, “सीबीआई निदेशक को छुट्टी पर भेजने का क्या कारण है? किस कानून के तहत मोदी सरकार को यह अधिकार मिला कि वह लोकपाल अधिनियन के मुताबिक नियुक्त एक जांच एजेंसी के प्रमुख के खिलाफ कार्रवाई शुरू करे? मोदी सरकार क्या छिपाने का प्रयास कर रही है?”
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता सीताराम येचुरी ने भी ट्विटर पर केंद्र सरकार के फैसले की आलोचना की और इसे अवैध करार दिया।
उन्होंने कहा, “मोदी सरकार ने खुद से चुने अधिकारी की रक्षा करने के लिए सीबीआई चीफ को अवैध रूप से हटा दिया है, जिसके खिलाफ भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों की जांच की जा रही है। भाजपा के शीर्ष राजनीतिक नेतृत्व के इस अधिकारी से सीधे संबंधों पर पर्दा डालने के लिए यह किया गया है।”
उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने सीबीआई पिंजरे में बंद एक तोता बनकर ना रह जाए, इसके लिए एजेंसी के चीफ को सरकारों की सनक से सुरक्षा देने के लिए दो साल का कार्यकाल दिया था। मोदी सरकार घबराहट में उठाए गए कदम से क्या छिपाने की कोशिश कर रही है।
मध्यरात्रि के एक चौंकाने वाले फैसले में केंद्र सरकार ने सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा से प्रभार लेकर उनकी जगह एजेंसी के संयुक्त निदेशक एम. नागेश्वर राव को निदेशक पद का प्रभार सौंप दिया।