‘खुर्जा कोयला बिजली संयंत्र दिल्ली की आबोहवा के लिए खतरा’
नई दिल्ली, 23 अक्टूबर (आईएएनएस)| ऐसे समय में जब नवीकरणीय ऊर्जा विकल्प सस्ते हो रहे हैं, उत्तर प्रदेश में सरकारी टीएचडीसीआईएल का प्रस्तावित खुर्जा कोयला बिजली संयंत्र न सिर्फ बिजली की लागत बढ़ाएगा, बल्कि दिल्ली की आबोहबा के लिए खतरा भी होगा। टीएचडीसीआईएल पहले टिहरी हाइड्रो डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लि. के नाम से जानी जाती थी, जो केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार का संयुक्त उद्यम है। इसमें दोनों की क्रमश: 75 फीसदी और 25 फीसदी हिस्सेदारी है।
अमेरिका के इंस्टीट्यूट फॉर इनर्जी इकॉनॉमिक्स एंड फाइनेंशियल एनालिसिस (आईईईएफए) की ‘द खुर्जा पॉवर प्रोजेक्ट : अ रेसिपी फॉर एन इंडियन स्ट्रैंडेड एस्सेट’ शीर्षक रपट में सिफारिश की गई है कि दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण को देखते हुए 1,320 मेगावॉट की इस प्रस्तावित परियोजना का पुनर्मूल्यांकन किया जाना चाहिए।
खुर्जा परियोजना में कुल 12,676 करोड़ रुपये का निवेश किया गया है, जिसकी पहली इकाई के साल 2022 के नवंबर में शुरू होने की उम्मीद है, जबकि दूसरी इकाई साल 2023 के अप्रैल तक शुरू होगी।
आईईईएफए के निदेशक (इनर्जी फाइनेंस स्टडीज) टिम बकले ने यहां कहा, “दिल्ली की छवि पहले से ही बहुत खराब है, क्योंकि यह दुनिया के किसी भी अन्य शहर से कहीं ज्यादा प्रदूषित है। अगर खुर्जा कोयला संयंत्र को योजना के मुताबिक दिल्ली के नजदीक स्थापित किया जाता है, तो उसका स्थानीय नागरिकों, आपातकालीन कर्मचारियों और स्थानीय सरकार पर गहरा असर होगा।”
उन्होंने कहा, “खुर्जा बिजली संयंत्र आठ साल पहले व्यवहारिक था, जब इसका प्रस्ताव रखा गया था, ताकि उत्तर भारत में बिजली की कमी पूरी की जा सके। लेकिन अब प्रौद्योगिकी में बदलाव आ चुके हैं।”