सोशल मीडिया पर भी हो नागरिक आचरण : स्वरा भास्कर
नई दिल्ली, 22 अक्टूबर (आईएएनएस)| अपने बेबाक अंदाज के लिए पहचाने जाने वाली अभिनेत्री स्वरा भास्कर ने कहा कि किसी अन्य सार्वजनिक क्षेत्र की तरह सोशल मीडिया पर नागरिक आचरण लागू होना चाहिए।
अपनी बेबाकी के लिए स्वरा हमेशा से सोशल मीडिया पर ट्रोल का शिकार होती रही हैं।
इस प्रकार लोगों द्वारा आलोचनाओं से प्रभावित होने के बारे में स्वरा ने आईएएनएस को दिए बयान में कहा, “शुरुआत में इससे मैं काफी प्रभावित होती थी। मुझे काफी दुख भी होता था। किसी प्रकार के अन्याय का एहसास होता था। बाद में मुझे यह समझ आया कि जीवन यही है।”
‘रांझणा’ फिल्म में नजर आ चुकीं स्वरा ने कहा, “वे न्याय की भावना से ऐसा नहीं कर रहे हैं, बल्कि नफरत और निजी भड़ास निकालने के कारण ऐसा कर रहे हैं। इसके बारे में आप क्या करेंगे? उनकी कोई पहचान नहीं है। इसीलिए, मुझे इसकी आदत हो गई।”
अभिनेत्री ने कहा, “सोशल मीडिया एक वास्तविक सार्वजनिक क्षेत्र है और अन्य किसी सार्वजनिक क्षेत्र की तरह यहां भी नागरिक आचरण लागू होना चाहिए।”
साल 2010 में आई फिल्म ‘माधोलाल कीप वॉकिंग’ से बॉलीवुड में कदम रखने वाली स्वरा को ‘तनु वेड्स मनु’, ‘तनु वेड्स मनु रिटर्न’, ‘निल बटे सन्नाटा’, ‘अनारकली ऑफ आरा’, ‘प्रेम रतन धन पायो’ और ‘वीरे दी वेडिंग’ जैसी फिल्मों में देखा जा चुका है।
वर्तमान में अपने काम के बारे में स्वरा ने कहा, “मैं एक अजीब स्थिति में हूं, क्योंकि ‘निल बटे सन्नाटा’, ‘अनारकली ऑफ आरा’ और ‘वीरे दी वेडिंग’ के बाद मैं अपनी अगली पटकथा के बारे में सोच रही हूं कि वह कैसी होनी चाहिए? मुझे लगता है कि पटकथाओं का स्तर काफी बढ़ गया है। मैंने ‘वीरे दी वेडिंग’ के बाद कोई फिल्म नहीं चुनी है।”
बॉलीवुड में अपने नौ साल के करियर के बारे में स्वरा ने कहा कि वह अब तक निभाए जाने वाले अपने किरदारों के लिए स्वयं को भाग्यशाली मानती हैं। वह स्वयं को मिलने वाले किरदारों पर नियंत्रण नहीं कर सकती हैं लेकिन उनके किरदारों के चयन पर उनका नियंत्रण है और इसीलिए, वह बेहद सावधानी से अपने लिए किरदारों का चयन करती हैं।
स्वरा ने कहा कि वह रोमांटिक फिल्म करने के लिए बेहद उत्सुक हैं, लेकिन स्विट्जरलैंड की वादियों में बनने वाली फिल्में अब नहीं होती। उन्हें ऐसे में लगता है कि बॉलीवुड पहुंचने में उन्हें 20 साल की देरी हो गई।
अभिनेत्री ने कहा, “अब भी कई चीजें हैं, जो मैं करना चाहती हूं। मेरा मानना है कि एक कलाकार के तौर पर आप कभी भी संतुष्ट नहीं हो सकते क्योंकि संतुष्टि का मतलब है एक कलाकार का मर जाना। मुझे संतुष्ट नहीं होना है और आशा है कि मेरी अकांक्षाएं हमेशा असंतुष्ट रहें।”