IANS

सेंसेक्स-निफ्टी में रही 1 फीसदी से ज्यादा गिरावट (साप्ताहिक समीक्षा)

मुंबई, 20 अक्टूबर (आईएएनएस)| बीते हफ्ते घरेलू शेयर बाजारों में गिरावट दर्ज की गई, जिसका मुख्य कारण अमेरिका और चीन के बीच चल रहे व्यापार विवाद और चीनी अर्थव्यवस्था में मंदी का संकेत रहा। साप्ताहिक आधार पर सेंसेक्स 417.95 अंकों या 1.2 फीसदी की गिरावट के साथ 34,315.63 पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी 168.95 अंकों या 1.61 फीसदी की गिरावट के साथ 10,303.55 पर बंद हुआ। बीएसई के मिडकैप सूचकांक में 227.92 अंकों या 1.6 फीसदी गिरावट आई और यह 14,058.30 पर बंद हुआ। बीएसई का स्मॉलकैप सूचकांक 76.51 अंकों या 0.54 फीसदी की गिरावट के साथ 14,082.92 पर बंद हुआ।

सोमवार को शेयर बाजारों की सकारात्मक शुरुआत हुई और सेंसेक्स 131.52 अंकों या 0.38 फीसदी की तेजी के साथ 34,865.10 पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी 40 अंकों या 0.38 फीसदी की तेजी के साथ 10,512.50 पर बंद हुआ।

मंगलवार को सेंसेक्सस 297.38 अंकों या 0.85 फीसदी की तेजी के साथ 35,162.48 पर बंद हुआ। वहीं, निफ्टी 72.25 अंकों या 0.69 फीसदी की तेजी के साथ 10,584.75 पर बंद हुआ।

बुधवार को सेंसेक्स में तेज गिरावट दर्ज की गई और यह 382.90 अंकों या 1.09 फीसदी की गिरावट के साथ 34,779.58 पर बंद हुआ। गुरुवार को दशहरा के अवसर पर शेयर बाजार बंद रहे।

शुक्रवार को सेंसेक्स 463.95 अंकों या 1.33 फीसदी की गिरावट के साथ 34,315.63 पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी 149.50 अंकों या 1.43 फीसदी की गिरावट के साथ 10,303.55 पर बंद हुआ।

बीते सप्ताह सेंसेक्स के तेजी वाले शेयरों में इंफोसिस (0.52 फीसदी) शामिल रहा।

सेंसेक्स के गिरावट वाले शेयरों में प्रमुख रहे – रिलायंस इंडस्ट्रीज (2.2 फीसदी), आईसीआईसीआई बैंक (1.22 फीसदी) और हीरो मोटोकॉर्प (6.82 फीसदी)।

आर्थिक मोर्चे पर, थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति दर सितंबर में बढ़कर 5.13 फीसदी हो गई है, जिसमें खाने-पीने के सामान और प्राथमिक वस्तुओं के दाम में आई तेजी का मुख्य योगदान है।

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, अगस्त में थोक महंगाई दर 4.53 फीसदी थी।

वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, सालाना आधार पर थोक महंगाई दर 2017 के सितंबर में 3.14 फीसदी थी।

मंत्रालय ने कहा, “मासिक डब्ल्यूपीआई पर आधारित सितंबर की महंगाई दर 5.13 फीसदी (अनंतिम) रही जबकि अगस्त में यह 4.53 फीसदी थी पिछले साल सितंबर में यह 3.14 फीसदी पर थी।”

बयान में कहा गया, “चालू वित्तवर्ष में अब तक की मुद्रास्फीति दर 3.87 फीसदी रही है, जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में यह 1.50 फीसदी थी।”

क्रमिक आधार पर, प्राथमिक वस्तुओं का मूल्य 2.97 फीसदी बढ़ा है, जबकि अगस्त में इसमें 0.15 फीसदी की कमी आई थी। प्राथमिक वस्तुओं का थोक मूल्य सूचकांक में भार 22.62 फीसदी है।

इसी प्रकार से समीक्षाधीन माह में खाने पीने की वस्तुओं की कीमतें बढ़ी है। इस श्रेणी का सूचकांक में भार 15.26 फीसदी है।

ईंधन और बिजली का सूचकांक में भार 13.15 फीसदी है, जिसमें 17.73 फीसदी की तेजी रही।

इसके विपरीत सब्जियों की कीमतों में सितंबर में 39.41 फीसदी की तेजी आई, जबकि एक साल पहले के समान माह में इसमें 41.05 फीसदी की तेजी दर्ज की गई थी।

प्रोटीन आधारित खाद्य पदार्थो जैसे अंडे, मांस और मछली की कीमतों में मामूली 0.83 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई।

भारत के औद्योगिक उत्पादन की रफ्तार अगस्त महीने में सुस्त पड़ गई और उत्पादन वृद्धि दर 4.3 फीसदी रही, जबकि जुलाई में औद्योगिक उत्पादन वृद्धि दर 6.52 फीसदी थी। केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, सालाना आधार पर औद्योगिक उत्पादन सूचकांक में (आईपीपी) अगस्त में कमी आई।

औद्योगिक उत्पाद की वृद्धि दर पिछले साल अगस्त में 4.8 फीसदी थी।

चालू वित्तवर्ष के शुरुआती पांच महीने यानी अप्रैल से लेकर अगस्त तक संचयी वृद्धि दर पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 5.2 फीसदी रही।

सालाना आधार पर कारखाना उत्पादों की वृद्धि दर 4.6 फीसदी रही जबकि खनन उत्पादों की वृद्धि दर शून्य से 0.4 फीसदी कम दर्ज की गई। वहीं बिजली उत्पादन में 7.6 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई।

वहीं, खुदरा महंगाई में भी तेजी आई और सितंबर में अगस्त के मुकाबले यह ज्यादा रहा। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, खुदरा महंगाई दर सितंबर में 3.77 फीसदी दर्ज की गई, जबकि अगस्त में 3.69 फीसदी थी। सालाना उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) में सितंबर 2018 में पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले वृद्धि दर्ज की गई।

केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार, उपभोक्ता खाद्य पदार्थ मूल्य सूचकांक (सीएफपीआई) अगस्त के 0.29 फीसदी के मुकाबले बढ़कर सितंबर में 0.51 फीसदी हो गया।

देश के निर्यात में सितंबर में साल-दर-साल आधार पर 2.15 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है, जबकि देश का व्यापार घाटा पिछले पांच महीने के न्यूनतम स्तर पर आ गया है, जिसमें कच्चे तेल की हाल की उच्च कीमतों की प्रमुख भूमिका है।

 

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