केरल : सबरीमाला में दूसरे दिन भी तनाव बरकरार
सबरीमाला (केरल), 18 अक्टूबर (आईएएनएस)| भगवान अयप्पा मंदिर के पांच दिनी तीर्थयात्रा सीजन के दूसरे दिन गुरुवार को भी केरल में तनाव बना रहा। राज्य में कथित तौर पर पुलिस द्वारा प्रदर्शनकारियों पर हमले के खिलाफ बंद रखा गया है। एक तरफ राज्य सरकार सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का पालन कराने का प्रयास कर रही है, तो दूसरी ओर हिंदूवादी संगठन परंपरा की दुहाई देते हुए महिलाओं को मंदिर में प्रवेश करने से रोक रहे हैं। वे स्थानीय लोगों को सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ भड़काने में कामयाब हो रहे हैं और महिला पत्रकारों तक पर हमला करवा रहे हैं।
इस बीच सबरीमाला के पुजारी परिवार के एक वरिष्ठ सदस्य ने 10 से 50 साल आयुवर्ग की महिलाओं के मंदिर में प्रवेश पर रोक की परंपरा का सम्मान करने व महिलाओं से अयप्पा के मंदिर में न जाने का आग्रह किया। महिलाओं के प्रवेश पर रोक इसलिए है कि माना जाता है कि अयप्पा ‘ब्रह्मचारी’ थे।
प्रदर्शनकारियों ने बुधवार को दो महिला भक्तों को पहाड़ी मंदिर में जाने से रोका, उन पर हमला किया। महिला भक्तों के साथ जो बच्चे थे, वे रोते दिखे। हमलों और हिंसा के बीच कुछ महिला पत्रकारों को कवरेज जारी रखने से रोका गया। स्थानीय लोगों का कहना है कि हिंसा भाजपा व आरएसएस से जुड़े हिंदू संगठनों के कार्यकर्ताओं ने की। उन्हें राज्य की वामपंथी सरकार के खिलाफ जनमानस तैयार करने का यह बेहतरीन मौका दिख रहा है।
स्त्री-पुरुष समानता और मानवाधिकार के आधार पर आए सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के 20 दिन बाद भी 10 से 50 साल उम्र की कोई बच्ची या महिला अयप्पा के दर्शन नहीं कर पाई है।
‘द न्यूयॉर्क टाइम्स’ की भारत में रिपोर्टर सुहासिनी राज अपने सहकर्मी के साथ गुरुवार की सुबह पंबा द्वार से अयप्पा मंदिर तक जाने में कामयाब रहीं, लेकिन उन्हें बीच में नाराज भक्तों ने रोक दिया। कुछ लोग उन पर पत्थर बरसान लगे।
सुहासिनी राज ने कहा, “मैं आधे रास्ते पहुंची थी और इसके बाद विरोध प्रदर्शन तेज हो गया। मुझ पर पत्थर चलाया गया और इसके बाद हमने लौटने का फैसला किया। पुलिस ने हमें सभी तरह की सुरक्षा प्रदान की।”
इससे पहले सुहासिनी ने कहा था कि वह भक्तों के साथ बातचीत कर रिपोटिंग का अपना काम करने आई हैं।
पथानमथिट्टा जिले के कलेक्टर पी.बी.नोह ने गुरुवार को दोपहर बाद मीडिया से कहा कि धारा 144 लागू है और यह वहां शुक्रवार मध्यरात्रि तक लागू रहेगी। पुलिस हर महिला को जो मंदिर में जाकर पूजा करना चाहती है, उसे सुरक्षा प्रदान करेगी।
बुधवार को गिरफ्तार किए गए 30 प्रदर्शनकारियों में से 20 को रान्नी में मजिस्ट्रेट की अदालत में पेश किया गया। उन्हें दो हफ्ते के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। गिरफ्तार कार्यकर्ताओं में तांत्री (पुजारी) परिवार का सदस्य राहुल ईश्वर भी शामिल है।
सुबह से लेकर शाम तक के इस बंद को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की अगुवाई वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) का समर्थन है। यह बंद बुधवार को प्रदर्शनकारियों पर पुलिस के हमले को लेकर बुलाया गया है।
ये प्रदर्शनकारी 10 से 50 आयुवर्ग की महिलाओं के भगवान अयप्पा मंदिर में प्रवेश को मंजूरी देने का विरोध कर रहे थे।
कोझीकोड, मलप्पुरम व यहां के कुछ स्थानों पर प्रदर्शनकारियों ने केरल राज्य सड़क परिवहन निगम के बसों पर पथराव किया, जिसके बाद उनका संचालन रोक दिया गया।
महानवमी के मौके पर सभी राज्य व केंद्र सरकार के कार्यालय, बैंक व शैक्षणिक संस्थान बंद हैं।
दुकानें व बाजार भी बंद हैं। तिरुवनंतपुरम व कोच्चि के आईटी पार्क में भी लोगों की कम मौजूदगी रही। बंद का असर रेल यात्रियों पर पड़ा, उन्हें स्टेशनों से टैक्सी व सार्वजनिक वाहनों पाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
मंदिर परिसर में मीडिया से बात करते हुए मुख्य पुजारी कांतारारू राजीवरू ने कहा, “हम महिलाओं का बहुत सम्मान करते हैं। इसके अलावा दूसरी तरह की पूजा के लिए आने पर उनका बेहद सम्मान किया जाता है।”
उन्होंने कहा, “हमने हमेशा कानून का सम्मान किया है, लेकिन सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद हम महिलाओं से विनम्रता से आग्रह करते हैं कि उन्हें इस पवित्र मंदिर की परंपरा को तोड़ने की कोशिश नहीं करनी चाहिए।”
भगवान अयप्पा का मंदिर बुधवार को शाम पांच बजे मासिक पूजा-अर्चना के लिए खोला गया। सर्वोच्च न्यायालय के 28 सितंबर के फैसले के बाद बुधवार को पहली बार मंदिर खोला गया।
सर्वोच्च न्यायालय ने 28 सितंबर के अपने फैसले में सभी उम्र की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की इजाजत दी थी।