उप्र : ‘भूतों’ को पाबंद करने की चालानी रिपोर्ट पेश
हमीरपुर, 13 अक्टूबर (आईएएनएस)| उत्तर प्रदेश में ‘अजब पुलिस की गजब कहानी’ उस समय चर्चा का विषय बन गई, जब हमीरपुर जिले की पुलिस ने नवरात्र में खलल डालने की आशंका में उप जिला मजिस्ट्रेट सदर के न्यायालय में मर चुके लोगों (भूतों) को भी पाबंद करने की चालानी रिपोर्ट पेश कर दी। फजीहत होने पर अब अपर पुलिस अधीक्षक (एएसपी) ने क्षेत्राधिकारी (सीओ) को जांच सौंपी है।
हमीरपुर नगर कोतवाल शैल कुमार सिंह ने 4 अक्टूबर को नवरात्र में शांति भंग की आशंका के मद्देनजर सीआरपीसी की धारा-107/116 के तहत कुल 31 लोगों को चिन्हित कर उप जिला मजिस्ट्रेट सदर की अदालत में चालानी रिपोर्ट पेश कर पाबंद किए जाने का अनुरोध किया है।
इन 31 लोगों की सूची के क्रमांक-1 नीशू द्विवेदी पुत्र प्रेम नारायण, क्रमांक-8 नन्हे अवस्थी पुत्र देवी शरण और क्रमांक-30 में दर्ज कल्लू पुत्र नामवेद की पिछले साल मौत हो चुकी है।
अदालत ने इस चालानी रिपोर्ट पर वाद संख्या-2266 पंजीकृत कर छह अक्टूबर को बिना परीक्षण किए सीआरपीसी की धारा-111 के तहत पाबंद करने का आदेश निर्गत कर सभी को 10 अक्टूबर को तलब भी कर लिया।
पुलिस को पसीना तब छूटा, जब वह तीन भूतों को नोटिस नहीं तामील करवा पाई और उनके परिजनों ने पुलिस को उनके निधन की जानकारी दी।
नगर कोतवाल ने 4 अक्टूबर की अपनी चालानी रिपोर्ट में लिखा, “सर्वोच्च न्यायालय ने 2014 में नदियों में मां दुर्गा की मूर्ति विसर्जन पर पाबंदी लगा दी थी, इसके बावजूद 2014 में नीशू आदि उल्लिखित 31 लोगों ने यमुना नदी में जबरन मूर्ति विसर्जित करने की कोशिश के दौरान बलवा कर प्रशासन पर पत्थरबाजी की, जिससे उन्हें मुकदमा अपराध संख्या-1630/14, धारा-147, 149, 325, 353, 336, 353ए, 504, 506 व 427 और सात क्रिमिनल लॉ एक्ट के तहत गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया गया था और आज भी यह मुकदमा विचाराधीन है।”
उन्होंने लिखा कि दुर्गा पूजा में इनके द्वारा पुन: कोई विवाद उत्पन्न कर शांतिभंग किए जाने की प्रबल संभावना है। इसे रोकने के लिए इनका इस अवधि में स्वतंत्र रहना कानून व्यवस्था बनाए रखने के हित में नहीं है।
‘भूतों’ का चालान पेश किए जाने का मामला जैसे ही उजागर हुआ, पुलिस अधिकारियों के कान खड़े हो गए। अपर पुलिस अधीक्षक संतोष कुमार सिंह ने शुक्रवार को कहा, “नगर पुलिस ने भौतिक सत्यापन नहीं किया और पुराने मामले को ही ताजा दिखाते हुए चालानी रिपोर्ट प्रेषित कर कर दी है, यह बहुत बड़ी गड़बड़ी है। इस मामले की जांच सीओ से कराई जा रही है, जांच रिपोर्ट मिलते ही दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।”
लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या उत्तर प्रदेश पुलिस घर बैठे ही कानून व्यवस्था दुरुस्त करने में जुटी है? अब यह देखना होगा कि ‘भूतों’ का चालान करने वाले कोतवाल के खिलाफ कोई कार्रवाई होती है या दुर्गा मूर्ति विसर्जन के साथ ही जांच भी विसर्जित हो जाएगी।