भारतीय सिनेमा मेरे लिए हमेशा महत्वपूर्ण रहेगा : अनुपम
नई दिल्ली, 7 अक्टूबर (आईएएनएस)| तीन दशकों से भारतीय फिल्मों और कई अंतर्राष्ट्रीय फिल्मों में अपने अभिनय के जरिए विश्व प्रसिद्धि पा चुके दिग्गज अभिनेता अनुपम खेर का कहना है कि वह विदेशी फिल्मों के लिए भारतीय सिनेमा को कभी भी नजरअंदाज नहीं कर सकते।
अनुपम फिलहाल अपनी नई अमेरिकी सीरीज ‘न्यू एम्सटरडम’ की शूटिंग के लिए अमेरिका में हैं। उन्होंने कहा, “अच्छा लगता है, जब मुझे मेरी अंतर्राष्ट्रीय फिल्मों और कार्यक्रमों के लिए सराहना मिलती है, लेकिन मेरे लिए मेरा अपना (भारतीय सिनेमा) ज्यादा महत्वपूर्ण है। जब भी मैं विदेशों में होता हूं, अपने आप को भारत के एक अंतर्राष्ट्रीय अभिनेता के तौर पर पेश करता हूं।”
अनुपम ने न्यूयॉर्क से आईएएनएस को फोन पर बताया, “एक भारतीय अभिनेता होने के नाते मैं अपने सिनेमा को नजरअंदाज नहीं करता। और मुझे लगता है कि विश्व सिनेमा में दक्षिण एशियाई अभिनेताओं की कोई कमी नहीं है, क्योंकि यह पूरी तरह व्यक्ति पर निर्भर करता है कि वह अंतर्राष्ट्रीय फिल्मों में काम करना चाहता है या नहीं। हमारा भारतीय सिनेमा अपने आप में पर्याप्त है।”
‘सिल्वर लाइनिंग प्लेबुक’ और ‘द बिग सिक’ जैसी ऑस्कर नामांकित हॉलीवुड फिल्मों में मुख्य भूमिका निभा चुके 63 वर्षीय अभिनेता फिलहाल ‘न्यू एम्स्टर्डम’ में काम कर रहे हैं।
अनुपम के मुताबिक, उन्होंने इस शो में विजय कपूर का किरदार निभाकर खुद को नए अंदाज में पेश किया है।
उन्होंने कहा, “अभिनेता बनने का सपना लिए शिमला के एक लड़के ने सफलतापूर्वक बॉलीवुड में अपना रास्ता बनाया और अब हॉलीवुड में काम कर रहा है। अब इससे ज्यादा मैं क्या कह सकता हूं? मुझे लगता है कि भगवान हमेशा मेरे लिए दयालु रहा है। इस फिल्म ने मुझे एक अलग तरह की उपलब्धि दी है। मैं हमेशा कुछ अलग करना चाहता था और अब मैंने ‘न्यू एम्स्टर्डम’ के साथ अपना नया पक्ष खोज लिया है।”
अपनी अंतर्राष्ट्रीय फिल्मों के अलावा, अनुपम अपनी अगली हिंदी फिल्म ‘द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर’ की भी तैयारी कर रहे हैं। यह फिल्म पूर्व भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के जीवन पर आधारित है।
फिल्म में मनमोहन सिंह की भूमिका निभा रहे अनुपम ने किरदार के लिए खुद में कुछ बदलाव किया। उनका कहना है कि यह उनकी अबतक की सबसे चुनौतीपूर्ण भूमिकाओं में से एक है।
अभिनेता ने कहा, “मनमोहनजी के समान शारीरिक हावभाव बनाने और अपनी आवाज पर नियंत्रण रखने में मुझे चार-पांच महीने लग गए। यह ऐसा नहीं है कि (मेक-अप रूम में) अंदर गए और मनमोहन सिंह के रूप में (तैयार होकर) बाहर आ गए। किरदार की कड़ी मेहनत की मांग थी और मैंने ईमानदारी व ²ढ़ विश्वास के साथ भूमिका निभाने की पूरी कोशिश की है।”
उन्होंने कहा, “डॉ. मनमोहन सिंह की जिंदगी को पर्दे पर चित्रित करना एक वैज्ञानिक द्वारा अपनी खोजों और सिद्धांतों पर काम करने जैसा है, क्योंकि एक ऐसे व्यक्ति का प्रस्तुत करना आसान नहीं है, जिसे दुनिया जानती है। मनमोहन सिंह इस पीढ़ी के राजनेता हैं। लोग उनके बारे में सबकुछ जानते हैं। मुझे आशा है कि मैंने अपने किरदार के साथ न्याय किया है।”