मुख्यमंत्रियों ने कहा, ईंधन को जीएसटी दायरे में लाने से राजस्व होगा प्रभावित
नई दिल्ली, 6 अक्टूबर (आईएएनएस)| ईंधन उत्पादों को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के दायरे में लाने के विचार का विरोध करते हुए विभिन्न राजनीतिक दलों के तीन मुख्यमंत्रियों ने शनिवार को कहा कि यह उनके राजस्व संग्रह पर नकारात्मक प्रभाव डालेगा। हिन्दुस्तान टाइम लीडरशीप समिट 2018 में कांग्रेस शासित पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने कहा कि उनकी राज्य की अर्थव्यवस्था का हाल अच्छा नहीं है और पिछले साल जीएसटी लागू होने के बाद यह केंद्र पर निर्भर हो गई है।
अपने महाराष्ट्र और कर्नाटक समकक्षों के साथ चर्चा में सिंह ने कहा, “हमारे पास राज्य को चलाने के लिए पैसा नहीं है। जीएसटी के बाद राज्य में हमारे पास कुछ नहीं बचा है। हम केंद्र पर निर्भर हैं। हमारे पास उद्योग नहीं हैं। हमारा पड़ोसी शत्रु है, जिसकी वजह से हमें हमेशा चौकन्ना रहना पड़ता है। हमारे पास केवल कृषि है।”
उन्होंने कहा, “हमारे पास आय के केवल तीन स्रोत हैं। पहला ईंधन, दूसरा उत्पाद शुल्क और तीसरा संपत्तियों के हस्तांतरण पर स्टैंप ड्यूटी..जहां तक बात रिएल एस्टेट की है तो पंजाब इसमें अभी आगे नहीं बढ़ सका है क्योंकि हमारी अर्थव्यवस्था सही आकार में नहीं है। मुझे कहां से मेरा राजस्व मिलेगा।”
कांग्रेस के समर्थन से कर्नाटक में सरकार बनाने वाले जनता दल सेक्युलर (जद-एस) के नेता एच.डी. कुमारस्वामी ने सिंह के विचारों का समर्थन करते हुए कहा कि केंद्र को मुद्दे के समाधान के लिए कदम उठाने चाहिए।
उन्होंने कहा, “संविधान के संस्थापकों ने राज्यों को कुछ शक्तियां दी हैं। केंद्र धीरे-धीरे राज्य से सभी शक्तियां ले रहा है। राज्य सरकार के पास कर संग्रह की कोई गुंजाइश नहीं है। हमें केंद्र पर निर्भर होना पड़ रहा है।”
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने के पक्षधर हैं। इस बारे में पूछे जाने पर कुमारस्वामी ने कहा कि यह राहुल गांधी की अपनी राय है। जहां तक उनकी बात है तो वह चाहते हैं कि केंद्र गंभीर कदम उठाए।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि कुछ हद तक वह अमरिंदर सिंह के विचारों से सहमत हैं। उन्होंने कहा कि जीएसटी ने राज्यों को अपना खुद का राजस्व प्राप्त करने में बहुत थोड़ी लचीलापन दिया है। लेकिन, उन्होंने ईंधन उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाने के विचार का समर्थन करते हुए कहा कि ‘कभी न कभी, हमें ऐसा करना ही पड़ेगा।’
उन्होंने कहा, “इसके साथ ही हमें विकल्पों के बारे में सोचना चाहिए। अगर हम आयात करते रहे तो हमें तेल उत्पादन करने वाले देशों के हाथों खेलते रहना पड़ेगा।”
फडणवीस ने कच्चे तेल के विकल्प के रूप में कृषि उत्पादों का प्रयोग कर जैव-ईंधन और इथेनॉल का उत्पादन करने को कहा।