किसानों ने जीत के दावे के साथ प्रदर्शन समाप्त किया
नई दिल्ली, 3 अक्टूबर (आईएएनएस)| प्रदर्शनकारी किसानों और पुलिस के बीच दिल्ली-उत्तर प्रदेश सीमा पर बना गतिरोध सरकार के साथ किसानों का समझौता होने के बाद आखिरकार पिछली रात समाप्त हो गया।
किसानों को किसान नेता व पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के स्मारक स्थल किसान घाट जाने की अनुमति प्रदान की गई। हरिद्वार से दिल्ली के लिए निकली 10 दिवसीय किसान क्रांति यात्रा की अगुवाई कर रहे भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) ने कहा कि सरकार को मांगों से अवगत करा दिया है और अगर सरकार ने उनकी मांगें नहीं मानीं तो दोबारा प्रदर्शन शुरू किया जाएगा।
भाकियू नेता राकेश टिकैत ने आईएएनएस को बताया कि मार्च का मकसद सरकार को किसानों की समस्याओं से अवगत कराना था, जिसमें वे सफल रहे।
टिकैत ने कहा, हम रात में किसान घाट गए जहां मार्च समाप्त होना था। हम सरकार के सामने अपने विचार व मांगें रखने में सफल रहे। अब फैसला करने की बारी सरकार की है।
उन्होंने कहा कि सरकार अगर उनकी मांगें पूरी करने में विफल रहती है तो फिर प्रदर्शन किया जाएगा।
उन्होंने कहा, किसानों ने यहां आकर अपनी आवाज उठाई। काम पूरा हो गया। यह एक बड़ा मार्च था।
केंद्र सरकार ने मामले में हस्तक्षेप कर प्रदर्शनकाारियों को मंगलवार और बुधवार की रात दिल्ली में प्रवेश की अनुमति प्रदान की।
प्रदर्शनकारी किसान सोमवार को उत्तर प्रदेश-दिल्ली सीमा पर पहुंचे थे। उनका प्रदर्शन मंगलवार को उग्र हो गया और उन्होंने बैरीकेड तोड़कर ट्रैक्टर से राजधानी में पहुंचने की कोशिश की। पुलिस ने उन्हें रोकने के लिए पानी की बौछारें कीं और आंसू गैस के गोले छोड़े।
नरेश टिकैत के नेतृत्व में 400 ट्रैक्टरों में सवार हजारों किसान देर रात दो बजे किसान घाट पहुंचे।
टिकैत ने इसे ‘किसानों की जीत’ बताया और कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार के ‘इरादे’ नाकाम हो गए हैं।
किसान घाट पर टिकैत ने आईएएनएस को बताया, किसान सभी कठिनाइयों के बावजूद अडिग रहे। हम 12 दिनों से मार्च कर रहे हैं। किसान भी थके हुए हैं। हम अपने अधिकारों की मांग जारी रखेंगे लेकिन फिलहाल के लिए हम मार्च को समाप्त कर रहे हैं।
तड़के साढ़े पांच बजे किसान, किसान घाट से वापस अपने घरों को लौटने शुरू हो गए।
किसानों की पंद्रह मांगे हैं। इनमें कर्ज माफी, अधिसूचित रबी फसलों के लागत मूल्य से पचास फीसदी अधिक लाभकारी न्यूनतम समर्थन मूल्य, गन्ना बकाए का भुगतान, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में दस साल पुराने ट्रैक्टरों को चलाने पर लगी रोक को हटाना, किसानी से जुड़े उत्पादों को पांच फीसदी जीएसटी के दायरे में लाना, बिजली की दरें घटाना शामिल हैं।
टिकैत ने कहा कि फसलों का दाम बढ़ाने की उनकी प्रमुख मांग सरकार ने मांग ली है। उन्होंने कहा कि सरकार छह दिन के अंदर इसकी घोषणा करेगी।
सरकार ने बुधवार को रबी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी का ऐलान किया।