मोदी को ‘चैंपियन ऑफ अर्थ’ सम्मान, जलवायु को संस्कृति का हिस्सा बताया
नई दिल्ली, 3 अक्टूबर (आईएएनएस)| प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) द्वारा यहां बुधवार को ‘चैंपियन ऑफ अर्थ’ से सम्मानित होने के बाद कहा कि जलवायु और संस्कृति का सीधा संबंध है और इस बात को समझे बिना आपदा को टाला नहीं जा सकता।
यहां आयोजित एक विशेष समारोह में संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतानियो गुटेरस से पुरस्कार प्राप्त करने के बाद प्रधानमंत्री ने कहा, जलवायु व आपदा का संस्कृति से सीधा संबंध है।
उन्होंने कहा, जब तक जलवायु के मामले में संस्कृति हमारी सोच का हिस्सा नहीं होगी, खुद को आपदा से बचाना मुश्किल होगा।
यूएनईपी ने इस वर्ष मोदी व फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों को ‘चैंपियन ऑफ अर्थ’ पुरस्कार के लिए नामित किया था। दोनों को अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) में उनके बेहतरीन काम और पर्यावरण से संबंधित कार्य के अंतर्गत सहयोग के नए क्षेत्रों को आगे बढ़ाने के लिए यह पुरस्कार दिया गया। इसके साथ ही मैक्रों द्वारा पर्यावरण के लिए वैश्विक समझौता के संबंध में किए गए कार्य और प्रधानमंत्री मोदी द्वारा 2022 तक भारत में सिंगल यूज प्लास्टिक के प्रयोग को समाप्त करने की प्रतिबद्धता जताने के लिए भी इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
भारत और फ्रांस ने 2015 में कांफ्रेंस ऑफ पार्टीज (सीओपी) के दौरान पेरिस जलवायु समझौते के मसौदे को तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
मोदी ने फ्रांस के तत्कालीन राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद के साथ सीओपी 2015 के दौरान भारत की पहल पर आईएसए को लांच किया था।
इस अवसर पर मोदी ने कहा कि विश्व ने यद्यपि भारत की जलवायु के प्रति प्रतिबद्धता को अब पहचाना है, लेकिन यह हजारों वर्षो से भारतीयों की जिंदगी का हिस्सा रही है।
उन्होंने कहा, यह पुरस्कार हमारे आदिवासी भाइयों-बहनों के लिए है, जो खुद से ज्यादा जंगलों को प्यार करते हैं।
मोदी ने कहा, यह हमारे मछुआरों के लिए है जो समुद्र से केवल उतना ही लेते हैं जितना जिंदगी जीने के लिए जरूरी होता है। यह हमारे किसानों के लिए है जिनके लिए ऋतुओं का चक्र उनकी जिंदगी का चक्र है।
मोदी ने साथ ही इस पुरस्कार को भारत की महिलाओं को समर्पित किया, जिनके लिए पुनप्र्रयोग और पुनर्चक्रण जिंदगी का हिस्सा है।
उन्होंने कहा कि पर्यावरण और प्रकृति पर बिना अतिरिक्त दबाव दिए लोगों को विकास अवसरों से लाभ प्राप्त करने के लिए एक-दूसरे से हाथ मिलाने की जरूरत है।
उन्होंने कहा, इसलिए मैं जलवायु न्याय के बारे में बात करता हूं।
प्रधानमंत्री ने कहा, देश के राष्ट्रीय राजमार्गो और एक्सप्रेस-वे को इको-फ्रेंडली तरीके से बनाया जा रहा है। हरित पट्टिका को भी विकसित किया जा रहा है।