त्रिपुरा : माकपा का मुखपत्र बंद, भाजपा पर आरोप
नई दिल्ली, 2 अक्टूबर (आईएएनएस)| त्रिपुरा में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के 40 वर्ष पुराने अखबार ‘ दैनिक देशार कथा’ को सरकार ने तकनीकी आधार पर बंद करने का आदेश दिया है।
मार्क्सवादियों ने मंगलवार को राज्य की भाजपा सरकार पर ‘अवैध’ कार्य करने का आरोप लगाया। पश्चिम त्रिपुरा के जिला मजिस्ट्रेट ने प्रबंधन के बदलाव में विसंगति का आरोप लगाते हुए बांग्ला दैनिक को बंद करने का आदेश दिया है।
माकपा नेता और अखबार के संस्थापक गौतम दास ने मंगलवार को कहा कि सत्तारूढ़ भाजपा ने ‘जिलाधिकारी पर अवैध कार्य करने का दबाव बनाया क्योंकि अखबार का राज्य सरकार के कुशासन और अलोकतांत्रिक तरीके पर आलोचनात्मक रुख रहा है।’
भाजपा ने इन आरोपों से इनकार किया है।
जिलाधिकारी और आयुक्त संदीप महात्मे ने 12 सितम्बर से एक अक्टूबर के बीच चार सुनवाई के बाद सोमवार रात को अखबार के प्रकाशन को बंद करने का आदेश दिया। अखबार का प्रकाशन 1978 से हो रहा था।
दास ने कहा कि मार्च में जब से भाजपा-आईपीएफटी गठबंधन सरकार सत्ता में आई है, वाम नेताओं व कार्यकर्ताओं पर हमले किए गए हैं।
‘दैनिक देशार कथा’ का प्रसार 45,000 प्रति दिन है। इस आदेश के बाद 1000 वेंडर व हॉकर बेरोजगार हो जाएंगे।
इस अखबार का वास्तविक मालिकाना हक माकपा के पास था। 2012 में, इसका मालिकाना हक एक पंजीकृत सोसाइटी को दे दिया गया। पिछले महीने इसे नवगठित ट्रस्ट को स्थानांतरित कर दिया गया था।
दास ने कहा, सभी प्रक्रियाओं को अपनाया गया और जिला मजिस्ट्रेट के जरिए रजिस्ट्रार ऑफ न्यूजपेपर्स को इसकी सूचना दी गई।
अखबार पर की गई कार्रवाई को भारतीय मीडिया के लिए ‘काला दिवस’ करार देते हुए दास ने कहा कि यहां तक कि 1975-77 में आपातकाल के दौरान भी किसी भी अखबार को जबरदस्ती बंद नहीं किया गया था।
वाम नेता ने कहा, भाजपा के आदेश पर, डीएम ने सबसे ज्यादा अलोकतांत्रिक व अवैध कार्य किया है। डीएम ने न्यायिक प्रक्रिया का भी उल्लंघन किया है।
उन्होंने कहा कि अखबार का प्रबंधन जल्द ही उचित मंच पर न्याय की मांग करेगा। उन्होंने कहा कि अब 200 पत्रकार व गैर-पत्रकार बेरोजगार हो जाएंगे।
भाजपा प्रवक्ता मृणाल कांति देब ने कहा कि भाजपा का जिलाधिकारी की कार्रवाई में कोई हाथ नहीं है।
देब ने मीडिया से कहा, माकपा ने प्रबंधन के बारे में तथ्य छिपाया है। उन्होंने लोगों को धोखा दिया है। जिलाधिकारी ने अखबार के प्रबंधन के अवैध कार्यो को रोक दिया है।
दिल्ली में माकपा के बयान के अनुसार, यह प्रेस की स्वतंत्रता पर खुलेआम हमला है। यह काफी दुखद दिन है कि ‘देशारकथा’ ने दो अक्टूबर, गांधी जयंती के दिन से अपना प्रकाशन बंद कर दिया है।