मध्यवर्गीय परिवार की दास्तां है ‘बीचवाले-बापू देख रहा है’
मुंबई, 28 सितंबर (आईएएनएस)| सोनी सब ने एक बिलकुल नया शो ‘बीचवाले-बापू देख रहा है’ लॉन्च किया है। यह कहानी भारत में मध्यवर्गीय परिवार के संघर्षो, उनकी उम्मीदों, खुशियों और सामाजिक दबाव पर आधारित है। यह शो दो अक्टूबर को शुरू हो रहा है। इसका प्रसारण सोमवार से शुक्रवार, रात 10 बजे सोनी सब पर किया जाएगा।
आईएएनएस को जारी एक बयान के अनुसार, इस शो का निर्माण और निर्देशन, गरिमा विजन के अश्विनी धीर ने किया है। ‘बीचवाले-बापू देख रहा है’ की कहानी भारत के मध्यवर्गीय व्यक्ति की है। वह अपने मूल्यों और इच्छाओं के बीच फंसा है। उसका सपना एक बड़ा घर, फैंसी कार खरीदने और विदेश घूमने का है, लेकिन सीमित आय और जरूरी खचरें की वजह से एक के बाद वे सपने पीछे छूटते गए। यह शो जाकिर हुसैन अभिनीत, बॉबी बीचवाले के इर्द-गिर्द घूमता है, वह मुख्य नायक है, जो कि एक संयुक्त परिवार का हिस्सा है।
बयान के अनुसार, इस परिवार में बॉबी के 70 साल के पिता (मिथिलेश चतुर्वेदी) और 92 साल के उसके दादाजी (जगदीश कंवल) रहते हैं, जिन्हें लोग ‘बापूजी’ कहकर बुलाते हैं। वह एक स्वतंत्रता सेनानी रहे हैं। वह राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के साथ काम करते थे और हमेशा खुद को परेशानियों के बीच फंसा हुआ पाते थे और इस वजह से उन्हें महात्मा गांधी ने ‘बीचवाले’ की उपाधि दी थी। वह इस उपाधि का खुशी-खुशी अपने सरनेम की तरह इस्तेमाल करने लगे।
बयान के अनुसार, बॉबी स्पेयर पार्ट्स की दुकान और एक गैरेज चलाता है। परिवार का एक जिम्मेदार बेटा होने के नाते, वह परिवार की खुशहाली की चिंता करता है। किसी का नुकसान किए बिना वह सबको फायदा पहुंचाने के लिए अपने जीवन में थोड़े बहुत जुगाड़ आजमाता रहता है।
सोनी सब के बिजनेस हेड नीरज व्यास ने कहा, हमारी नई पेशकश ‘बीचवाले-बापूू देख रहा है’ मध्यवर्गीय व्यक्ति के संघर्षों और परेशानियों के बारे में है, जो अपने मूल्यों और इच्छाओं के बीच फंसा है। इस शो में बेहतरीन कलाकार हैं और इसकी कहानी दिलचस्प है। ‘बीचवाले.,’ के साथ हम दर्शकों से किए गए ‘हंसते रहो इंडिया’ के अपने वादे पर कायम हैं। हम प्रासंगिक कंटेंट प्रस्तुत कर रहे हैं, जिसे पूरा परिवार देख सकता है और उससे जुड़ सकता है।
अश्विनी धीर ने कहा, मिडिल क्लास व्यक्ति का संघर्ष किसी से छुपा नहीं है। दर्शक न केवल ‘बीचवाले’ से खुद को जोड़ पाएंगे बल्कि बड़ी ही खूबसूरती से बीचवाले के हर सदस्य को अलग तरीके से पेश किया गया है और इसमें अलग तरह की समस्याएं दिखाई गईं हैं। इसमें नैतिकता से लेकर आर्थिक मुद्दों को उठाया गया है।