छग : विधानसभा में 2433.78 करोड़ की द्वितीय अनुपूरक मांग पारित
रायपुर, 13 सितंबर (आईएएनएस/वीएनएस)। छत्तीसगढ़ विधानसभा में गुरुवार को चर्चा के बाद वर्ष 2018-19 के लिए दो हजार 433 करोड़ 78 लाख रुपये की द्वितीय अनुपूरक मांग ध्वनिमत से पारित कर दी गई। इसमें से 2400 करोड़ रुपये किसानों को धान का बोनस देने के लिए निर्धारित किए गए हैं। वर्ष 2018-19 का मुख्य बजट लगभग 87 हजार 463 करोड़ रुपये का था। प्रथम एवं द्वितीय अनुपूरक बजट की राशि शामिल करने पर अब बजट का आकार बढ़कर 94 हजार 775 करोड़ रुपये हो गया है। पक्ष और विपक्ष के बीच गहन विचार-विमर्श के बाद द्वितीय अनुपूरक पारित किया गया।
मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने सदन में हुई चर्चा का जवाब देते हुए बताया कि द्वितीय अनुपूरक में 2400 करोड़ रुपये का किसानों को समर्थन मूल्य पर धान खरीदी का बोनस देने के लिए प्रावधान किया गया है। किसानों को प्रति क्विंटल 300 रुपये का बोनस दिया जाएगा।
उन्होंने बताया कि विधानसभा चुनाव 2018 के प्रशासनिक कार्यो के लिए 33 करोड़ 78 लाख रुपये और राजस्व व्यय के लिए 2434 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा, यह छत्तीसगढ़ विधानसभा के लिए एक ऐतिहासिक अवसर है, जब किसानों को धान बोनस देने के लिए विशेष सत्र बुलाया गया है। तीज और गणेश चतुर्थी के पावन अवसर पर किसानों के लिए छत्तीसगढ़ विधानसभा ने धान बोनस के लिए राशि की मंजूरी दी। यह कदम दर्शाता है कि राज्य शासन की प्राथमिकता में किसान पहले क्रम में हैं।
डॉ. सिंह ने कहा, राज्य में बेहतर वित्तीय प्रबंधन के कारण किसानों को समर्थन मूल्य पर धान खरीदी के साथ ही बोनस का भुगतान करने का निर्णय दिया गया है। जब किसान खुशहाल होगा, तो प्रदेश में खुशहाली आएगी। प्रदेश में एक नवंबर से धान खरीदी शुरू होगी। किसानों को धान के समर्थन मूल्य के साथ बोनस की राशि भी जोड़कर दी जाएगी।
डॉ. सिंह ने कहा, पिछले 15 वर्षो में राज्य सरकार द्वारा राज्य गठन के बाद प्रथम तीन वर्ष की तुलना में किसानों से समर्थन मूल्य पर चार गुना अधिक धान खरीदा गया और 9 गुना अधिक राशि का भुगतान किया गया। पिछले 15 वर्षो में किसानों से लगभग 7 करोड़ 53 लाख मिट्रिक टन धान खरीदा गया और किसानों को 95 हजार 136 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया, जिसमें से किसानों को बोनस के रूप में 9 हजार 712 करोड़ रुपये भी दिए गए।
उन्होंने कहा, न्यूनतम ऋणभार में छत्तीसगढ़ देश में प्रथम स्थान पर है। भारतीय रिजर्व बैंक के वर्ष 2018 के प्रतिवेदन के अनुसार राज्य का कुल ऋण भार, सकल घरेलू उत्पाद का मात्र 17.4 प्रतिशत है, जबकि सभी राज्यों का औसत 24.3 प्रतिशत है। इसी तरह छत्तीसगढ़ में ब्याज भुगतान राज्य के सकल घरेलू उत्पाद का मात्र 1.1 प्रतिशत है, जबकि देश के सभी राज्यों का औसत 1.7 प्रतिशत है। न्यूनतम ब्याज भुगतान में भी छत्तीसगढ़ देश में प्रथम स्थान पर है।