बेरोजगारी बढ़ने के आरोप बेबुनियाद : संजीव सान्याल
नई दिल्ली, 10 सितंबर (आईएएनएस)| देश में बेरोजगारों की संख्या बढ़ने के आरोप बेबुनियाद हैं और बड़ी संख्या में नौकरियों का सृजन हो रहा है। यह कहना है वित्त मंत्रालय में सलाहाकर संजीव सान्याल का। उन्होंने इस दौरान अनौपचारिक क्षेत्र में नौकरियों की जानकारी की कमी पर चिंता जताई।
आकार और जनसांख्यिकीय के आधार पर रोजगार सृजन देश में एक प्रमुख मुद्दा है। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह बेरोजगारों की संख्या बढ़ने का मामला है? संजीव ने आईएएनएस से कहा, नहीं, समस्या डेटा की कमी की है। उदाहरण के लिए इस साल ट्रकों की बिक्री में भारी वृद्धि हुई थी। अब उन ट्रकों को कोई न कोई चला रहा है। इसी तरह पिछले तीन-चार वर्षों में ओला कैब जैसी सेवाओं में भारी वृद्धि हुई है, इसका डेटा कहां है?
सान्याल ने कहा कि सरकार श्रम डेटा के संग्रह खातिर उचित कार्यप्रणाली लाने के लिए कई सालों से काम कर रही है। यह अनौपचारिक क्षेत्र और देश में नौकरियों की सीजनल तरीकों के कारण मुश्किल साबित हुआ है।
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) पेरोल डेटा, जिसका उपयोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नौकरी सृजन के दावा के लिए करते हैं, यह जिक्र करने पर सान्याल ने कहा कि यह आंशिक डेटा है लेकिन विश्वसनीय है। वहीं, कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआईसी) डेटा पर जिसने एक विपरीत प्रवृत्ति दिखाई, इस पर संजीव ने कहा कि उन्हें इस बारे में जानकारी नहीं है।
हाल के ईपीएफओ आंकड़ों ने सितंबर 2017 और जून 2018 के बीच 47 लाख नई नौकरियों का सृजन दिखाया है, जबकि सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (एमओएसपीआई) के अनुसार, ईएसआईसी के आंकड़ों से पता चलता है कि उसी 10 महीने की अवधि में 23 लाख नौकरियां छिनी हैं।
उन्होंने कहा, इसी प्रकार अमेजन को बड़ी संख्या में कुरियर डिलीवरी करने वालों की आवश्यकता है। यह काम का बड़ा विस्तार हो रहा है। ये बुनियादी स्तर की पूर्णकालिक नौकरियां हैं और ऐसी बड़ी संख्या में नौकरियां पैदा हो रही हैं। सवाल यह है कि यह दिखता नहीं है।
सान्याल ने कहा, मुझे इस कथन से समस्या है कि बेरोजगारी बढ़ती जा रही है। अगर वास्तव में बेरोजगारी बढ़ी है तो आप कई अन्य चीजों पर गौर करें। हम आय कर भुगतान में वृद्ध देख रहे हैं। सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर स्पष्ट रूप से बढ़ रही है।
अर्थव्यवस्था पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि 2017-18 की पहली तिमाही में अर्थव्यवस्था 8.2 प्रतिशत बढ़ी है। यह इसके मंदी से बाहर निकलने का संकेत है जो वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) ने पीछे धकेल दिया था और कई छोटे उद्यमों पर ताला लगवा दिया था, हालांकि शुरुआती गड़बड़ी के बाद बड़ी कंपनियां एक कर की व्यवस्था का फायदा उठाने के लिए तैयार हो गई हैं।
तकनीक में उन्नति और अर्थव्यवस्था में तेज बदलाव के कारण कई बार लोगों को अपने करियर के बीच में ही काम से हाथ धोना पड़ जाता है, क्योंकि वे उसमें खुद को समायोजित नहीं कर पाते। इस पर सान्याल ने कहा, यह रीस्किलिंग (दोबारा प्रशिक्षण) का मुद्दा है..नौकरी सृजन का नहीं। यह हमारी बड़ी चिंता का विषय नहीं है, क्योंकि हमारा औसत भारतीय 26 वर्ष की उम्र के आसपास का है।
उन्होंने कहा, मैं व्यक्तिगत मामलों पर नीतियां नहीं बना सकता हूं। मुझे बड़ी संख्या में लोगों के आधार पर नीतियां बनानी है। हमारे जनसांख्यिकीय को देखते हुए और जहां हम अपने विकास चक्र में हैं, हमारी पहली शर्त युवा श्रमिकों को उच्चतम स्तर की तकनीक तक ले जाना है, जिसे वे अवशोषित कर सकते हैं।
उन्होंने कहा, हमें रीस्किलिंग या अपस्किलिंग यानी लोगों को दोबारा प्रशिक्षित करना और महत्वपूर्ण तकनीकी लीपफ्रॉजिंग (छोटी वृद्ध के स्थान पर बड़ी छलांग) को प्राथमिकता देने की जरूरत है। अगर हम तकनीकों के खिलाफ खुद को संकुचित दायरे में रखते हैं और सोचते हैं कि यह (तकनीक) नौकरियों को नष्ट कर रही है तो वह सोच वास्तव में नौकरियों को नष्ट कर देगी।