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गर्भवती महिला को एम्बुलेंस से नहीं बल्कि कंधों पर ढोते हैं यहां के लोग, जाने वजह

अर्थव्यवस्थाओं को शर्मनाक करती हैं जब ऐसी घटनाये हमे सुनने और देखने को मिलती हैं. तब सवाल यह उठता हैं की आखिर हमारे देश का विकास कब होगा। यह तस्वीर जो खुद बयां करती हैं कि देश की सरकारें कितने बेकार हैं वो सिर्फ और सिर्फ आम जनता का खून पी रही हैं, बुनियादी तौर पर जन जरूरतों की लिए कोई काम नहीँ कर रही हैं।

कुछ ऐसी ही सच्चाई आंध्र प्रदेश के विजयनगरम से सामने आयी हैं बता दे विजयनगरम में यहां के आदिवासी ढांचागत सुविधाओं और सड़कों की कमी की वजह से कई किलोमीटर पैदल चलने को मजबूर हैं। यह गर्भवती महिलाओं के लिए सबसे ज्यादा मुश्किल होता है। मंगलवार को विजयनगरम जिले के गांव में गर्भवती महिला के रिश्तेदार उसे कंधे पर ढोकर जंगल के रास्ते से 7 किलोमीटर दूर अस्पताल लेकर जा रहे थे। 4 किलोमीटर चलने के बाद ही उसने बच्चे को जन्म दे दिया और इसी वजह से वह वापस आ गए। मां और बच्चा दोनों ही स्वस्थ हैं।

इससे पहले 29 जुलाई को इसी जिले में एक गर्भवती महिला को लेकर रिश्तेदार जा रहे थे। सभी उसे कंधे पर बिठाकर 12 किलोमीटर दूर अस्पताल लेकर जा रहे थे। इसी बीच नवजात की मौत हो गई। यह घटना उड़ीसा के पास स्थित जिले में घटी। जहां कोंडाथामारा गांव की एक आदिवासी महिला को सालूर मंडल के डुग्गेरु जा रहे थे। इन घटनाओं ने आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू और सरकार के उन दावों को खारिज कर दिया है जिसमें उन्होंने राज्य को बेहतर बुनियादी ढांचे वाला बनाने का दावा किया था।

आपको बता दे कुछ दिनों पहलेओडिशा के बौद्ध जिले से एक और तस्वीर सामने आयी थी, इस तर्वीर में एक गरीब लाचार बुढा व्यक्त एक मृत स्त्री को साईकिल पर लादा कर ले जाने पर मजबूर हैं।

ये मामला कोई नया नही हैं, ऐसी बहुत सारी तस्वीरें और द्रश्य देखने को मिलते हैं। लेकिन यहाँ पर सवाल यह हैं की क्या ये तस्वीरें वहां की सरकारों को नही दिखाए देती हैं। कब तक गरीब इंसान होते हुए भी जानवरों वाली जिन्दगी जियेंगे।

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