#LGBT : धारा 377 हुई रद्द, सुप्रीम कोर्ट ने कहा समलैंगिकता अपराध नहीं
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने सुनाया ऐतिहासिक फैसला, एलजीबीटी समुदाय में खुशी
देश की सबसे बड़ी अदालत ने छ: सितंबर 2018 गुरूवार को एक बड़ा फैसला सुनाते हुए धारा 377 को रद्द कर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि समलैंगिकता अपराध नहीं है। यह फैसला चीफ़ जस्टिस की अगुवाई में पांच जजों की बेंच ने यह फ़ैसला सुनाया है।
#WATCH People in Mumbai celebrate after Supreme Court decriminalises #Section377 and legalises homosexuality pic.twitter.com/ztI67QwfsT
— ANI (@ANI) September 6, 2018
इससे पहले समलैंगिकता को धारा 377 के तहत अपराध की श्रेणी में रखा गया था। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने गुरुवार को इस मामले पर सुनवाई करते हुए समलैंगिकता को अपराध मानने से इंकार कर दिया।
अपना फैसला सुनाते हुए मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने कहा,” कोई भी अपने व्यक्तित्व से बच नहीं सकता है। समाज में हर किसी को जीने का अधिकार है। कोर्ट ने यह भी कहा कि एलजीबीटी समुदाय को वो सारे अधिकार मिले हैं, जो देश के किसी भी नागरिक को मिले हैं।”
कोर्ट ने अपने फैसले में यह कहा है कि देश के सभी लोगों को समानता का अधिकार है। साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि समाज को अपनी सोच बदलने की जरुरत है। इस ऐतिहासिक फैसले के बाद एलजीबीटी समुदाय के लोगों की आंखों में खुशी के आंसू आ गए।