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कला क्षेत्र में बिहार का नाम रौशन कर रहीं प्रीति

पटना, 31 अगस्त (आईएएनएस)| बिहार के सीतामढ़ी जिले के एक पिछड़े गांव बेलाम छपकौनी गांव की रहने वाली प्रीति सुमन आज अपनी बहुमुखी की प्रतिभा से बिहार का नाम रौशन करने में लगी हैं। बहुमुखी प्रतिभा की धनी प्रीति जहां एक तरफ क्लासिकल संगीत में प्रशिक्षित हैं, वहीं दूसरी तरफ लेखन-विद्या में भी माहिर हैं।

कई कवि सम्मेलनों में भाग ले चुकीं प्रीति की विभिन्न भाषाओं में 50 से ज्यादा गाने रिलीज हो चुके हैं। यही कारण है कि इस वर्ष समाजसेवा और कला सेवा के लिए प्रसिद्ध तिलका मांझी राष्ट्रीय पुरस्कार से प्रीति को सम्मानित किया गया।

तिलका मांझी राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मान पाकर खुश प्रीति कहती हैं, उनकी मंजिल पुरस्कार कभी नहीं रहा। उनका विश्वास काम करने पर रहा है। पुरस्कार मिलने के बाद उत्साहित जरूर होती हूं, परंतु इन पुरस्कारों से लोगों की उम्मीदें भी बढ़ जाती हैं।

उन्होंने इस सम्मान के लिए अंग मदद फाउंडेशन को धन्यवाद भी दिया।

प्रीति ने एक प्रश्न पर कहा, अगर कलाकार अनवरत काम करता रहे और धैर्य रखे तो देर-सबेर उसे सफलता जरूर मिलेगी। प्रतिभा के बावजूद जद्दोजहद तो करना ही पड़ता है।

लोकगायिका के रूप में प्रीति के मैथिली भाषा के गीत काफी लोकप्रिय हुए हैं। वह बताती हैं कि उनकी लिखी अबतक भोजपुरी, मैथिली, हिंदी में करीब 50 गाने रिलीज हो चुके हैं।

कई कवि सम्मेलनों में भाग ले चुकी प्रीति वर्ष 2016 में इंडिया न्यूज चैनल पर भी आयोजित कवि सम्मेलन में भाग ले चुकी हैं। वर्ष 2014 में दिल्ली इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल की पुस्तिका में भी उनकी कविता प्रकाशित हुई थी, जिसे लोगों ने काफी पसंद किया था।

संस्कार चैनल के लिए कई गीत लिखने वाली प्रीति को बिहार के शताब्दी महोत्सव के लिए ‘स्वर्णिम बिहार’ और ‘आई लव बिहार’ शीर्षक गीत ने बिहार में काफी लोकप्रिय बनाया। प्रीति के लिखे कई नाटकों का भी मंचन किया जाता रहा है।

‘एक था राजा एक थी रानी’, ‘पेशवा बाजीराव’, ‘संतोषी मां’, ‘सावधान इंडिया’, ‘क्राइम पेट्रोल’ जैसे सफल सीरियलों का सहायक निर्देशक के रूप में सफल निर्देशन दे चुकीं प्रीति अभिनय के क्षेत्र में भी काम कर चुकी हैं। उन्होंने हिंदी फिल्म ‘मेक इन इंडिया’ में अभिनय का भी मौका मिला और उसमें भी एक ग्रामीण महिला की भूमिका को बखूबी निभाया।

उन्होंने आईएएनएस के साथ एक विशेष बातचीत में कहा, मैंने जो कुछ सीखा, वह अपने पिता से सीखा और बेहतर करने की सफर की ओर अग्रसर हूं।

प्रीति बताती हैं कि उनकी फिल्मी करियर की शुरुआत लेखन से हुई, जब वह मुजफ्फरपुर के एमडीडीएम कॉलेज में पढ़ रही रही थीं। उस समय उनकी उम्र 15 साल रही होगी। कॉलेज की सहेलियां कविता लिखतीं और प्रीति को सुनाती थीं। प्रीति ने इस कसौटी पर जब अपने को जांचा तो पाया कि अभिव्यक्ति उनकी तुलना में बेहतर है। वहीं से गीत, गजल लिखने का दौर आरंभ हुआ।

संगीत की दीवानी प्रीति बज्जिका और मैथिली भाषा में कई गीतों को स्वर दिया है, जिसे लोगों ने खूब पसंद किया है। यूट्यूब पर जारी ‘सिया के बारात’, ‘जय जय मइया अम्बे भवानी’ तथा ‘उगह हो सुरुज देव’ गीत के माध्यम से प्रीति ने खूब-खूब वाहवाही लूटी है।

‘नवभारती सेवा न्यास’ स्वयंसेवी संस्था के जरिए समाज सेवा करने वाली प्रीति नाटक के माध्यम से बिहार के गांवों में व्याप्त सामाजिक कुरीतियों के लिए लोगों को जागरूक करती हैं। युवा कवियों के लिए समय-समय पर काव्यात्मक कार्यशालाओं का आयोजन भी प्रीति करवाती हैं।

बिहार के सीतामढ़ी के रहने वाली प्रीति कहती हैं कि बिहार में फिल्म और लोकगायकी के क्षेत्र में काफी भविष्य है, जरूरत सिर्फ यहां की प्रतिभाओं को तराशने की है। बहुमुखी प्रतिभा की धनी प्रीति का सपना यहां के प्रतिभाओं को तराशने की है।

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