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उत्तराखंड में पशुधन के विकास में मील का पत्थर साबित होंगी ‘पशु सखी’

कुमाऊं के तीन जिलों और गढ़वाल में छ: जिलों की महिलाओं को दिया जाएगा प्रशिक्षण

पशुपालन विभाग, उत्तराखंड अब महिलाओं को कृत्रिम गर्भाधान कार्यकर्ता बनाने का प्रशिक्षण देगा। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में कुमाऊं के तीन जिलों और गढ़वाल में छ: जिलों की महिलाओं को लाभ मिलेगा।

इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में हर एक ज़िले में एक कृत्रिम गर्भाधान केंद्र और दुग्ध संग्रह केंद्र खोला जाएगा। ग्रामीण क्षेत्रों में पशुपालन की मदद से कृत्रिम गर्भाधान की सुविधा मिलेगी। इस प्रशिक्षण में भाग लेनी वाली महिला कार्यकर्ताओं को पशु सखी की तरह माना जाएगा।

मंगलवार (28 अगस्त 2018) को देहरादून में पशुपालन राज्य मंत्री रेखा आर्य ने इस योजना की शुरूआत की। कुमाऊं मंडल में भी योजना को शुरू करने की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं।

लाइव स्टॉक डेवलपमेंट बोर्ड के तहत एकीकृत आजीविका सहयोग परियोजना के अंतर्गत यूएलडीबी और पशुपालन विभाग महिलाओं को कृत्रिम गर्भाधान कार्यकर्ता के रूप में प्रशिक्षण देगा। इसमें प्रशिक्षण के बाद प्रथम वर्ष दस कृत्रिम गर्भाधान प्रतिमाह करने पर 3,000 रुपए मानदेय दिया जाएगा। दूसरे वर्ष पंद्रह गर्भाधान करने पर 2,500 रुपए व तीसरे वर्ष बीस गर्भाधान करने पर 2,000 मानदेय मिलेगा।

इस योजना में तीसरे वर्ष के हर महिला कृत्रिम गर्भाधान कार्यकर्ता को पशु कृत्रिम गर्भाधान केंद्र खोलने पर पांच सौ रुपए मासिक किराया भत्ता और दुग्ध संग्रह केंद्र खोलने पर दो हज़ार रुपए किराया दिया जाएगा।

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