जल-प्रबंधन के लिए जंग-रोधी इस्पात जरूरी : सचिव
नई दिल्ली, 24 अगस्त (आईएएनएस)| केंद्रीय इस्पात मंत्रालय में सचिव डॉ. अरुणा शर्मा ने शुक्रवार को जल प्रबंधन में जंगरोधी इस्पात के इस्तेमाल की आवश्यकता बताई। उन्होंने कहा कि भारत दुनिया में इस्पात का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है और जल-प्रबंधन के लिए बेहतर व टिकाऊ बुनियादी ढांचा तैयार करने में जंगरोधी इस्पात का इस्तेमाल आवश्यक है। इस्पात सचिव यहां इंडियन स्टेनलेस स्टील डेवलपमेंट एसोसिएशन (आईएसएसडीए) की ओर से टिकाऊ जल-प्रबंधन के लिए जंगरोधी इस्पात के इस्तेमाल पर आयोजित एक संगोष्ठी में बोल रही थीं।
इस्पात मंत्रालय के तत्वावधान में आयोजित इस संगोष्ठी के आरंभ में जिंदल स्टेनलेस स्टील के प्रबंध निदेशक अभ्युदय जिंदल ने कहा कि जल प्रबंधन में जंगरोधी इस्पात यानी स्टेनलेस स्टील के उपयोग से पानी की बर्बादी नहीं होगी।
जिंदल ने बताया, पाइपलाइन में लीकेज के कारण दिल्ली जल बोर्ड का 48 फीसदी पानी बेकार हो जाता है। अगर बुनियादी संरचनाओं में जल बोर्ड जंगरोधी इस्पात का इस्तेमाल करेगा तो यह बर्बादी रुक जाएगी।
उन्होंने कहा कि स्टेनलेस स्टील में न तो जंग लगता है और न ही यह टूटता या फटता है। जिंदल ने कहा, स्टेनलेस स्टील की पाइप में छेद नहीं किया जा सकता है, इसलिए लीकेज से पानी की बर्बादी का सवाल ही नहीं पैदा होता है। लिहाजा, जल प्रबंधन के लिए स्टेनलेस स्टील का उपयोग किया जाना चाहिए। इससे न सिर्फ पानी की बर्बादी रूकेगी, बल्कि एक टिकाऊ व्यवस्था होने से धन की भी बचत होगी, क्योंकि इसका जीवन-काल लंबा होता है।
कार्यक्रम में केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय में सचिव यू.पी. सिंह ने अशुद्ध जल के कारण स्वास्थ्य को होने वाले नुकसान का जिक्र किया। उन्होंने कहा, अशुद्ध जल से स्वास्थ्य को भारी नुकसान पहुंचता है, इसलिए हम इसकी (जंगरोधी इस्पात) खासियत को लेकर इसपर अंतर-विभागीय विचार-विमर्श कर रहे हैं।
आईएसएसडीए के अध्यक्ष, के. के. पाहूजा ने इस अवसर पर कहा, पानी का लीकेज और संक्रमण गंभीर समस्या है, जिससे बहुमूल्य प्राकृतिक संसाधन की बर्बादी होने के साथ-साथ कीमती जिंदगी को भी खतरा पैदा होता है। यही कारण है कि आईएसएसडीए जल प्रबंधन में जंगरोधी इस्पात के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए अथक प्रयास कर रहा है। पूरी दुनिया में जल प्रबंधन के लिए स्टेनलेस स्टील को सुरक्षित व टिकाऊ पदार्थ माना गया है।
पाहूजा ने कहा कि स्टेनलेस स्टील में अन्य घटकों के अलावा कम से कम 10.5 फीसदी क्रोमियम का इस्तेमाल होता है, जिससे यह ताकतवर और जंगरोधी बनता है।
उन्होंने कहा, इसमें न दाग लगता है, न जंग लगता है और न ही छेद होता है। देखने में भी आकर्षक लगता है। पानी के प्रबंधन के लिए स्टेनलेस स्टील बेहतर विकल्प है।
संगोष्ठी में पहुंचे जल प्रबंधन क्षेत्र के विशेषज्ञों ने बताया कि प्लास्टिक से बनी पानी की पाइप की क्वालिटी खराब होती है और इससे पानी के दूषित होने का खतरा बना रहता है, जोकि स्टेनलेस स्टील में नहीं है। विशेषज्ञों का कहना था कि लोगों को घरों में भी प्लास्टिक के वाटर टैंक, बोतल, बर्तन, पाइपों के बदले स्टेनलेस स्टील से निर्मित सामानों का इस्तेमाल करना चाहिए।
विशेषज्ञों ने बताया कि स्टेनलेस स्टील की गुणवत्ता प्रमाणित हो चुकी है और दिल्ली जल बोर्ड अब पानी के परिवहन के लिए स्टेनलेस स्टील का उपयोग कर रहा है। इसके अलावा कई शहरों में स्टेनलेस स्टील से निर्मित वाटर एटीएम लगाए गए हैं।