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केरल के लिए एक महीने का वेतन देंगे कांग्रेस के सांसद, विधायक

नई दिल्ली, 18 अगस्त (आईएएनएस)| कांग्रेस ने शनिवार को केरल में आई बाढ़ को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग की। इसके साथ ही कांग्रेस ने कहा कि पार्टी के सभी निर्वाचित प्रतिनिधि राज्य में राहत प्रयासों के लिए अपनी एक महीने की तनख्वाह दान करेंगे।

पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी की अध्यक्षता वाली बैठक में तनख्वाह दान करने का फैसला लिया गया, इस बैठक में कांग्रेस के महासचिव, राज्य पार्टी प्रभारियों, विधायकों और राज्य इकाई के अध्यक्षों ने हिस्सा लिया।

गांधी ने इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से केरल में आई बाढ़ को तत्काल राष्ट्रीय आपदा घोषित करने का आग्रह किया था।

कांग्रेस पदाधिकारियों की बैठक के बाद संवाददाताओं से बात करते हुए पार्टी के मीडिया प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि मोदी सरकार को केरल की मदद के लिए आगे आना चाहिए, जहां बाढ़ के कारण 180 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और तीन हजार करोड़ से ज्यादा की संपत्ति का नुकसान हो चुका है।

सुरजेवाला ने कहा, लोकसभा और राज्यसभा के सभी कांग्रेस सासंदों, भारत के सभी कांग्रेसी विधायकों और विधानपरिषद के सदस्यों ने एक महीने की तनख्वाह दान करने का फैसला किया है, जिसे केरल में राहत उपायों के लिए एआईसीसी के माध्यम से भेजा जाएगा।

उन्होंने कहा कि यह भी तय किया गया कि सभी कांग्रेस सरकारें राज्य के लोगों की मदद के लिए आगे आएंगी।

सुरजेवाला ने कहा कि पंजाब सरकार पहले ही केरल राहत फंड के लिए 10 करोड़ रुपये दान कर चुकी है और कर्नाटक की जद-स व कांग्रेस सरकार ने भी 10 करोड़ रुपये दान किए हैं। पुडुचेरी सरकार ने भी एक करोड़ रुपये दान किए हैं।

उन्होंने कहा कि पुडुचेरी के अलावा तमिलनाडु, कर्नाटक समेत सटे इलाकों में विशेष राहत समितियां गठित की जाएंगी। कांग्रेस सरकार द्वारा इकठ्ठा की गई सामग्री को केरल के लोगों को भेजा जाएगा।

सुरजेवाला ने कहा, मोदी जी को बाढ़ राहत के मामले में भेदभाव रोकना चाहिए। प्रधानमंत्री को पार्टी की राजनीति से ऊपर उठकर केरल, कर्नाटक और अन्य बाढ़ग्रस्त राज्यों की मदद के लिए आगे आना चाहिए। प्रधानमंत्री को केरल बाढ़ को राष्ट्रीय आपदा घोषित करना चाहिए।

उफनती नदियों और भूस्खलन के चलते हुए हादसों में शनिवार सुबह तक मरने वालों की संख्या 350 से ज्यादा पहुंच गई, जबकि तीन लाख लोगों को मजबूरन 2,000 राहत शिविरों में शरण लेनी पड़ी।

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