लिवर की जानलेवा बीमारियों की रोकथाम जरूरी : विशेषज्ञ
नई दिल्ली, 17 अगस्त (आईएएनएस)| जब टॉक्सिन, बैक्टीरिया और वायरस से लिवर को चोट लगती है और यह सूज जाता है या खराब हो जाता है, तो इसकी कार्यविधि प्रभावित हो सकती है। बहुत ज्यादा मदिरा पान, टॉक्सिन, कुछ दवाइयों, और कुछ निश्चित चिकित्सा स्थितियों की वजह से हेपेटाइटिस हो सकता है। वायरल हेपेटाइटिस मौतों का एक प्रमुख कारण है। विशेषज्ञों का कहना है कि जांच और रोकथाम वायरल हेपेटाइटिस के नए संक्रमण की दर को कम कर सकते हैं। सर गंगाराम हॉस्पिटल के इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी एंड पैंक्रियाटिको बिलियरी साइंसेज के निदेशक डॉ. अनिल अरोड़ा ने कहा, संक्रमित व्यक्ति अपनी गंभीर वाहक स्थिति से अनजान होते हैं और दशकों तक दूसरों को संक्रमित करना जारी रखते हैं और आखिरकार इस वजह से लिवर फेल होना, लिवर की गंभीर बीमारियों और कैंसर का इलाज कराने के साथ हेल्थकेयर सिस्टम पर बोझ बढ़ता है।
उन्होंने कहा, जांच और रोकथाम नए संक्रमणों की दर को कम कर सकते हैं, लेकिन जो पहले से ही संक्रमित हैं, वे एक पीढ़ी पर भारी पड़ते रहेंगे। संक्रमित मांओं से उनके नवजातों में हेपेटाइटिस बी वायरस (एचबीवी) संचरण की रोकथाम करना एचबीवी के नियंत्रण और अंतत: उसे खत्म करने के लिए महत्वपूर्ण है। मां-से-बच्चे में एचबीवी फैलने की दर 85 प्रतिशत होती है। जिससे बाद में लिवर की गंभीर बीमारी और हेपेटोकेल्युलर कार्सिनोमा होने की संभावना ज्यादा होती है।
अरोड़ा ने कहा कि जन्म के साथ ही हेपेटाइटिस बी इम्यून ग्लोबुलिन (एचबीआईजी) के साथ ही देने वाले एचबीवी के टीके से इस जोखिम को 90 प्रतिशत तक कम किया जाता है।
उन्होंने आगे कहा, भारत में हुए एक हालिया अध्ययन ने बताया कि 18589 लोगों की जांच करने पर, 303 लोगों में एचबीवी संक्रमण (फैलाव 1.63 प्रतिशत) और 56 में एचसीवी संक्रमण (फैलाव 0.3 प्रतिशत) पाया गया है। संक्रमित लोगों को पहचानने के लिए जांच के साथ एचसीवी और एचबीवी थैरेपी उपलब्ध कराना शुरू किया गया। इन महत्वपूर्ण निवारक उपायों को ‘एचबीवी केयर कैस्केड’ और ‘एचसीवी क्योर कैस्केड’ के रूप में जाना जाता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, हर साल 13.4 लाख मौतों के लिए वायरल हेपेटाइटिस जिम्मेदार है। इसका 90 प्रतिशत ज्यादा से ज्यादा हिस्सा हेपेटाइटिस बी वायरस (एचबीवी) और हेपेटाइटिस सी वायरस (एचसीवी) के साथ लिवर के संक्रमण की वजह से हुआ है। हालांकि, हेपेटाइटिस अक्सर वायरस के कारण होता है।