रेलवे, राजमार्ग से हाथियों को खतरा : अंतर्राष्ट्रीय संगठन
नई दिल्ली , 12 अगस्त (आईएएनएस)| भारत में हाथियों की मौत की घटनाओं में हो रही वृद्धि पर एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन ने चिंता जाहिर की है।
जंतु-संरक्षण कार्य से जुड़े इस संगठन ने देश में तीव्र दर से घटती हाथियों की आबादी पर नियंत्रण के लिए नीतियों में व्यापक बदलाव की आवश्यकता बताई है।
इंटरनेशनल फंड फॉर एनिमल वेल्फेयर (आईएफएडब्ल्यू) के प्रेसिडेंट अजेडाइन डॉउंस ने आईएएनएस से बातचीत के दौरान मौजूदा दौर में घुमंतू जानवरों को राजमार्गो और रेलवे समेत अन्य कारणों से पैदा हुए खतरों पर रोशनी डाली और देश में इनके संरक्षण के लिए सुरक्षित गलियारे बनाने का सुझाव दिया।
डाउंस ने कहा कि मानव और पारितंत्र की बेहतरी के लिए हाथियों को उनके विकास के लिए जगह देने की जरूरत है और इसके लिए सरकार, नीति और उद्योग के बीच समन्वय स्थापति करना होगा।
उन्होंने कहा, रेलवे, सिंचाई, राजमार्ग और बिजली के तार जैसे बुनियादी ढांचों से हाथियों को खतरा है। इसलिए हाथियों की आबादी में तेजी से आ रही कमी को रोकने के लिए मजबूत और व्यापक नीति की तत्काल जरूरत है।
भारत में करीब 27,000 जंगली एशियाई हाथी है जोकि इनकी वैश्विक आबादी का 55 फीसदी है। फिर भी देश में इनके भविष्य की अनिश्चिता में बनी हुई है।
उन्होंने कहा, हम भारतीय हाथी के भविष्य को लेकर आशावादी हैं। आईएफएडब्ल्यू और वाइल्ड ट्रस्ट ऑफ इंडिया (डब्ल्यूटीआई) समस्या के उचित समाधान के लिए एक साथ मिलकर काम कर रहे हैं जिसका जंतुओं, मानव और सभी जीवों के आवास पर तत्काल पर प्रभाव पड़ेगा और इसका दीर्घकालिक असर होगा।
उन्होंने कहा, हमारा लक्ष्य भारत सरकार के परिजयोजना हाथी के साथ साझेदारी में वन विभाग और विभिन्न एनजीओ को साथ लेकर हाथी संरक्षण गलियारों का निर्माण करना है।
उन्होंने बताया कि छह गलियारों को संरक्षित किया जा चुका है। पहचान किए गए 101 गलियारों में छह को सुरक्षित कर लिया गया है और छह और गलियारों को सुरक्षित करने की प्रक्रिया जारी है।
सुरक्षित गलियारों में केरल में तिरुनेल्ली-क्रुडकोट, कर्नाटक में एडेयारहल्ली-डोड्डासैमपिग और कनियानपुरा-मोयार, मेघालय में सिजू-रीवाक और रीवाक-एमैग्रे और उत्तराखंड में चिल्ला-मोतीचुर शामिल हैं।
12 अगस्त को विश्व हाथी दिवस मनाया जाता है। इस अवसर पर इंदिरा गांधी कला केंद्र में 12-15 अगस्त के दौरान चार दिवसीय गज महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है।