न्यायमूर्ति जोसेफ ने सर्वोच्च न्यायालाय के न्यायाधीश के रूप में शपथ ली
नई दिल्ली, 7 अगस्त (आईएएनएस)| न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी, न्यायमूर्ति विनीत शरण व न्यायमूर्ति के.एम.जोसेफ ने मंगलवार को सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। इन न्यायाधीशों ने सरकार द्वारा अधिसूचित वरिष्ठता क्रम के आधार पर शपथ ली। शपथ ग्रहण करने वाले न्यायाधीशों में न्यायमूर्ति जोसेफ सबसे जूनियर हैं।
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने शीर्ष अदालत में एक समारोह में तीनों न्यायाधीशों को पद की शपथ दिलाई।
अदालत के वरिष्ठ न्यायाधीशों ने सोमवार को प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा से मिलकर सरकार के न्यायमूर्ति जोसेफ को शपथ ग्रहण में तीसरे स्थान पर रखे जाने पर अपनी नाखुशी जाहिर की थी।
उन्होंने कहा था कि न्यायमूर्ति जोसेफ को तीनों में वरिष्ठ होना चाहिए, क्योंकि उनके नाम की सिफारिश शीर्ष अदालत के लिए सबसे पहले की गई थी, इसके बाद सरकार ने आपत्ति जाहिर की थी।
न्यायमूर्ति जोसेफ ने उत्तराखंड उच्च न्यायालय के अपने फैसले में 2016 में राज्य में लगाए गए राष्ट्रपति शासन को रद्द कर दिया था। सर्वोच्च न्यायालय ने फैसले को कायम रखा था।
हालांकि, सूत्रों ने कहा कि न्यायाधीशों की वरिष्ठता अखिल भारतीय आधार पर है और सर्वोच्च न्यायालय के कॉलेजियम की सिफारिश पर नहीं।
न्यायमूर्ति जोसेफ के नाम की संस्तुति 10 जनवरी को कर दी गई थी। सरकार द्वारा सर्वोच्च न्यायालय कॉलेजियम को विचार के लिए लौटाए जाने के बाद उनकी नाम की सिफारिश दोबारा 17 जुलाई को की गई। कॉलेजियम ने जोसेफ को सबसे अधिक योग्य एवं सक्षम न्यायाधीश बताया था।
तीन नए न्यायाधीशों के शामिल होने के बाद शीर्ष अदालत में न्यायाधीशों की संख्या 28 हो गई है। यह सर्वोच्च न्यायालय के लिए स्वीकृत 31 न्यायाधीशों की संख्या से तीन कम है।
यह पहली बार है कि सर्वोच्च न्यायालय में वर्तमान में तीन महिला न्यायाधीश हैं। इसमें न्यायमूर्ति आर.भानुमति, न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा व न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी शामिल हैं।
न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी सर्वोच्च न्यायालय की सातवीं महिला न्यायाधीश हैं। सर्वोच्च न्यायालय की पहली महिला न्यायाधीश न्यायमूर्ति फातिमा बीवी, इसके बाद न्यायमूर्ति रूमा पाल, न्यायमूर्ति रंजना देसाई, न्यायमूर्ति ज्ञान सुधा मिश्रा, न्यायमूर्ति आर. भानुमति और न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा हैं।