त्रिपुरा में लोकतंत्र को कुचल रही भाजपा : कार्यकर्ता
अगरलता, 6 अगस्त (आईएएनएस)| वाम समर्थक नेताओं के एक समूह ने राज्य का दौरा करने के बाद कहा कि भाजपा त्रिपुरा में बहु-दलीय लोकतंत्र को नष्ट करने की कोशिश कर रही है। किसानों और राजनीतिक नेताओं की तथ्यान्वेषी टीम के अनुसार, तीन मार्च को भाजपा-आईपीएफटी गठबंधन के विधानसभा चुनाव जीतने के बाद त्रिपुरा में अघोषित आपातकाल जैसी स्थिति पैदा हो गई है।
रविवार शाम मीडिया को जारी सात सदस्यीय टीम ने अपनी रपट में कहा, महिलाओं, अल्पसंख्यकों, दलितों, आदिवासियों और सभी समुदायों के गरीबों के साथ हत्या, डकैती, लूट और अत्याचार की घटनाएं बढ़ रही हैं।
इस टीम में नर्मदा बचाओ आंदोलन(एनबीए) की कार्यकर्ता मेधा पाटकर, अखिल भारतीय किसान सभा के अध्यक्ष और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के नेता अशोक धवले, अखिल भारतीय किसान महासभा के महासचिव और भाकपा(माले)(लिबरेशन) के नेता राजाराम सिंह, माकपा के राज्यसभा सदस्य के.के. रागेश और त्रिपुरा के तीन सांसद जितेंद्र चौधरी, शंकर प्रसाद दत्ता और झरना दास बैद्य शामिल थे।
मेधा पाटकर ने कहा, राजनीतिक प्रतिशोध के सैकड़ों पीड़ितों द्वारा दर्ज कराई गई सैकड़ों प्राथमिकियों के बदले पुलिस और प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की। राज्य के बड़े भाग में डर और आतंक का माहौल है।
उन्होंने कहा, राज्य के पूरे विपक्ष को निशाने पर लिया जा रहा है, जिसमें मुख्य निशाना वाम दल हैं, लेकिन कांग्रेस जैसी अन्य विपक्षी पार्टियों को भी बख्शा नहीं गया है।
किसान नेता धवले ने कहा, स्थानीय निकाय ग्राम पंचायत, पंचायत समिति और शहरी नगरपालिका निकाय के चुने हुए एक-तिहाई नेताओं को गंभीर परिणामों के तहत इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया गया।
तथ्यान्वेषी टीम ने कहा कि भाजपा-आईपीएफटी के तीन मार्च को सत्ता संभालने के बाद, सत्तारूढ़ पार्टी के बदमाशों ने वामदलों के समर्थकों के 40 मछली तलाबों को विषाक्त कर दिया, कई कुक्कट फार्मो को लूट लिया और 54 रबड़ बागों को क्षतिग्रस्त कर दिया या जला दिया।
रपट के मुताबिक, भाजपा-आईपीएफटी सरकार के पांच महीनों के कार्यकाल में, सत्तारूढ़ पार्टी के उपद्रवियों द्वारा महिलाओं के साथ दुष्कर्म, छेड़छाड़ और हमले की 112 घटनाएं दर्ज की गई हैं।
रपट के अनुसार, माकपा के चार सदस्य और नेताओं की हत्या कर दी गई। भाजपा, आईपीएफटी और आरएसएस कार्यकर्ताओं के हमले में 113 महिलाओं समेत 1,047 वाम कार्यकर्ता घायल हो गए।
बयान के अनुसार, माकपा और वाम मोर्चा के लगभग 633 कार्यालयों को जला दिया गया, हमला किया गया या कब्जा जमा लिया गया। वाम मोर्चा संगठनों के 200 कार्यालयों पर हमले किए गए और 150 के आसपास कार्यालयों पर कब्जा कर लिया गया। वामदलों के नेताओं के 2200 से ज्यादा घरों को जलाया गया या क्षतिग्रस्त कर दिया गया।
सत्तारूढ़ भाजपा ने हालांकि आरोपों को निराधार बताया है।
भाजपा प्रवक्ता मृणाल कांति देब ने कहा कि जब मेधा पाटकर तत्कालीन वाम मोर्चा सरकार के खिलाफ बोलती थीं, तो वाम नेता उनकी बुराई करते थे। अब वह एनबीए नेता का राजनीतिक फायदे के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं।
देब ने आईएएनएस से कहा, वामदल भाजपा सरकार के खिलाफ साजिश रच रहे हैं।