गहलोत और उनकी पत्नी पदमुक्त, एकेएफआई की कमान प्रशासक के हाथ (राउंडअप)
नई दिल्ली, 3 अगस्त (आईएएनएस)| दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को एक अहम फैसला लेते हुए 2013 में हुए भारतीय एमेच्योर कबड्डी महासंघ (एकेएफआई) के चुनावों को अवैध करार दिया। न्यायालय ने नए सिरे से एकेएफआई चुनाव कराने के आदेश दिए हैं और तब तक इसका कामकाज देखने के लिए पूर्व आईएएस अधिकारी सनत कौल को प्रशासक नियुक्त किया है।
भारत सरकार और दिल्ली सरकार में कई महत्वपूर्ण महकमों के प्रमुख के तौर पर काम कर चुके 1971 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारी सनत अगला आदेश आने तक एकेएफआई के अध्यक्ष पद का सारा कार्यभार संभालेंगे और एक अध्यक्ष की सभी शक्तियों के हकदार होंगे।
प्रशासक के रूप में काम करते हुए सनत एकेएफआई के लिए चुनाव प्रक्रिया सुनिश्चित करेंगे। इसके साथ ही वह सारे दिशानिर्देश भी तय करेंगे, जिसके बाद नए सिरे से चुनाव कराए जाएंगे। यह सभी कार्य छह माह के भीतर पूरे होंगे।
न्यायालय की कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायमूर्ति सी हरि शंकर की एक खंडपीठ एकेएफआई के आजीवन अध्यक्ष जनार्दन सिंह गहलोत और एकेएफआई की अध्यक्ष मृदुल भदोरिया के खिलाफ दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया।
उल्लेखनीय है कि पूर्व कबड्डी खिलाड़ी और अर्जुन पुरस्कार विजेता महिपाल सिंह ने याचिका दायर कर एकेएफआई पर 28 साल से वैध चुनाव न कराने का आरोप लगाया था। इसके साथ ही उन्होंने गहलोत और उनकी पत्नी की नियुक्ति को भी चुनौती दी थी।
मृदुल, गहलोत की पत्नी हैं और पेशे से डॉक्टर हैं लेकिन गहलोत की महासंघ में इतनी चलती है कि उन्होंने अपने प्रभावों को दुरुपयोग करते हुए 19 मई, 2013 को इस्तीफा दिया और फिर अवैध चुनावों के माध्यम से अपनी पत्नी को एकेएफआई का अध्यक्ष बना दिया।
इन्हीं चुनावों में ही गहलोत को एकेएफआई का आजीवन अध्यक्ष चुना गया था। याचिका में गहलोत के अवैध तरीके से आजीवन अध्यक्ष बनने पर भी सवाल खड़े किए गए हैं। न्यायालय ने मृदुल और गहलोत के साथ-साथ पांच साल पहले एकेएफआई के विभिन्न पदों के लिए चुने गए अधिकारियों की शक्ति को रद्द कर दिया है।
मृदुल का पद तत्काल प्रभाव से छीन लिया गया है। न्यायालय ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि एकेएफआई अध्यक्ष रहते हुए मृदुल ने जितने भी लाभ (धन के रूप में) हासिल किए, उन्हें वापस करें। यहां बताना जरूरी है कि गहलोत और मृदुला के पुत्र तेजस्वी सिंह गहलोत को राजस्थान कबड्डी महासंघ का अध्यक्ष बनाया गया है।
यही नहीं, अपने फैसले में दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक स्वतंत्र जांच एजेंसी के माध्यम से एकेएफआई के मामलों और उसके खातों का लेखा-जोखा देखने का आदेश दिया है। साथ ही प्रतिष्ठित खिलाड़ियों की एक एडहॉक समिति की नियुक्ति करने को भी कहा है, जो एकेएफआई के हर दिन के काम को संभालेगा।
अदालत ने कहा, साल 1984 में गहलोत को एकेएफआई प्रमुख चुना गया था। इसके बाद 2013 तक कोई चुनाव नहीं हुए। वह 19, 2013 तक अध्यक्ष पद पर बने रहे और इसी तारीख पर हुए चुनाव में एकेएफआई की सदस्य इकाई से बिल्कुल अनजान उनकी पत्नी को अध्यक्ष घोषित कर दिया गया।
अदालत ने कहा कि मृदुल दो बार एकेएफआई के अध्यक्ष पद का कार्यभार संभाल चुकी हैं और याचिकाकर्ता ने आश्वस्त किया कि अगर वह कई और बार अध्यक्ष पद पर बनीं रहतीं।
याचिका पक्ष के वकील भारत नागर ने आईएएनएस से कहा, एकेएफआई के खिलाफ साल 2013 में पूर्व अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी महिपाल सिंह ने अपील दायर की थी। अभी इस मामले में यह फैसला सुनाया गया है। हालांकि, इस मामले में हमारी एक ओर अपील लंबित है। उसमें में और भी जांच की मांग की गई है। यह मामला पैसे लेकर खिलाड़ियों को अवैध तरीके से फर्जी सर्टिफिकेट देने का है। इसकी बदौलत हजारों खिलाड़ी गलत तरीके से अपने-अपने राज्यों में सरकारी नौकरी कर रहे हैं।
अदालत के इस फैसले पर खुशी जाहिर करते हुए महिपाल ने कहा कि न्यायालय ने अभी तो एक मामले में गहलोत पर गाज गिराया है, अभी कई ऐसे मामले हैं, जिन्हें लेकर गहलोत और उनके कई करीबियों को जेल की सैर करनी पड़ सकती है।
महिपाल ने आईएएनएस कहा, 30 सितम्बर की ताराख भी गहलोत के लिए भारी होगी। इस दिन 15 तारीख के ट्रायल के मामले भी फैसला सुनाया जाएगा। इसके अलावा, गहलोत के बेटे की अंतर्राष्ट्रीय निजी कंपनी द्वारा किए गए अवैध गबन के साथ-साथ गहलोत के 34 साल से अध्यक्ष रहने के दौरान खिलाड़ियों को दिए फर्जी सर्टिफिकेट मामले में भी अदालत फैसला सुनाएगी।