एनआरसी प्रक्रिया निष्पक्ष, पारदर्शी : राजनाथ
नई दिल्ली, 3 अगस्त (आईएएनएस)| केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को भरोसा दिलाया कि राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) की पूरी प्रक्रिया में किसी तरह का भेदभाव व अनावश्यक उत्पीड़न नहीं होगा। उन्होंने कहा कि इसे निष्पक्ष व पारदर्शी तरीके से अंजाम दिया जा रहा है।
इस मामले के राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े होने की बात दोहराते हुए उन्होंने कथित तौर पर ‘कुछ’ (लोगों) द्वारा सोशल मीडिया पर अफवाहों व प्रचार के जरिए भय का माहौल बनाने व इस मुद्दे को अंतर्राष्ट्रीय बनाए जाने के प्रयास की निंदा की।
राज्यसभा में एनआरसी मुद्दे पर अल्पकालिक चर्चा का जवाब देते हुए मंत्री ने कहा कि सरकार समयबद्ध तरीके से प्रक्रिया को पूरा करने के लिए वचनबद्ध है। एनआरसी को लेकर राज्यसभा की कार्यवाही बीते कुछ दिनों से बाधित व स्थगित होती रही है।
राजनाथ ने कहा, मैं दोहरा रहा हूं कि यह अंतिम एनआरसी नहीं है। यह सिर्फ एनआरसी मसौदा है। सभी को दावों और आपत्तियों के लिए पर्याप्त अवसर प्रदान किया जाएगा। इसके बावजूद अगर किसी का नाम सूची से बाहर रहता है, तो वह विदेशी न्यायाधिकरण से संपर्क कर सकता है।
उन्होंने यह भी भरोसा दिया कि किसी के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं होगी।
मंत्री ने कहा कि एनआरसी अपडेट करने का कार्य पूरी तरह निष्पक्ष, पारदर्शी, गैर भेदभावपूर्ण और कानूनी तरीके से किया जा रहा है।
उन्होंने कुछ विपक्षी पार्टियों के आरोपों पर कहा, पूरी प्रक्रिया सर्वोच्च न्यायालय की देखरेख में की जा रही है। सर्वोच्च न्यायालय नियमित आधार पर कार्य की निगरानी भी कर रहा है। किसी को भी परेशान नहीं किया जाएगा। कोई भेदभाव नहीं हुआ है और कोई भेदभाव नहीं होगा।
उन्होंने कहा कि 30 जुलाई को प्रकाशित एनआरसी का मसौदा 1985 के असम समझौते के प्रावधानों के अनुसार प्रकाशित किया गया है, जब राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे।
इसे अपडेट करने का निर्णय पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 2005 में लिया था।
मंत्री ने कुछ राजनीतिक दलों पर भी हमला किया और कहा कि वे लोगों के बीच डर का माहौल बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि निहित स्वार्थ की वजह से कुछ लोग सोशल मीडिया पर अभियान चला रहे हैं, जिससे इस मुद्दे को अंतर्राष्ट्रीय बनाया जा सके और सामुदायिक सौहार्द्र प्रभावित हो सके।
राजनाथ ने कहा, यह राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला है..सामुदायिक सौहार्द्र को बिगाड़ने का कोई प्रयास नहीं किया जाना चाहिए.. मैं सभी से सहयोग की उम्मीद करता हूं।
बाद में कांग्रेस के रिपुन बोरा ने सदन में केंद्र सरकार को एक सर्वदलीय बैठक बुलाने का सुझाव दिया।
उन्होंने कहा कि गलत संदेश गया है कि कांग्रेस एनआरसी के खिलाफ है।
उन्होंने कहा, गृहमंत्री के बयान के साथ यह अब साफ है कि कांग्रेस ने ही एनआरसी की शुरुआत की थी। राजीव गांधी असम के खतरे को समझते थे। राज्य के लोगों की रक्षा के लिए असम समझौते पर हस्ताक्षर हुआ था।