उपन्यास ‘मीशा’ पर रोक लगाने की याचिका पर सुनवाई करेगा सर्वोच्च न्यायालय
नई दिल्ली, 1 अगस्त (आईएएनएस)| सर्वोच्च न्यायालय गुरुवार को मलयालम उपन्यास ‘मीशा’ एक के भाग पर रोक लगाने की याचिका पर सुनवाई करेगा। ‘मीशा’ के क्रमबद्ध मलयालम साप्ताहिक प्रकाशन को लेखक ने संदिग्ध दक्षिणपंथी संगठनों की ओर से धमकी मिलने के बाद बंद कर दिया था।
याचिका उपन्यास में कथित तौर पर महिलाओं पर अपमानजनक सामग्री के खिलाफ दी गई है। याचिका में कहा गया कि इससे महिलाओं की भावनाएं आहत हो सकती हैं।
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली एक खंडपीठ ने मामले पर गुरुवार को सुनवाई किए जाने पर सहमति जताई। खंडपीठ ने यह सहमति वकील ऊषा नंदानी द्वारा बुधवार को मामले पर जल्द सुनवाई किए जाने का उल्लेख करने के बाद दी।
याचिकाकर्ता राधाकृष्णन ने उपन्यास के इस हिस्से के प्रकाशन या इंटरनेट पर प्रसारित होने पर रोक लगाने की मांग की है।
केरल साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता लेखक एस. हरीश द्वारा लिखित उनका पहला उपन्यास ‘मीशा’ बुधवार को औपचारिक रूप से विमोचन के लिए तैयार है।
हरीश ने कहा कि यह सब संदिग्ध दक्षिणपंथी कार्यकर्ताओं के अपने फेसबुक पेज पर एक पोस्ट करने के बाद शुरू हुआ जिसमें दक्षिणपंथी कार्यकर्ताओं ने उनके उपन्यास में हिंदू धर्म का अपमान होने की बात लिखी थी।