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विश्व हेपेटाइटिस डे : लीवर का रखें खास ख्याल

नई दिल्ली, 27 जुलाई (आईएएनएस)| लीवर हमारे शरीर में सैकड़ों प्रकार के कार्य करता है। इसमें प्रमुख रूप से पित्त का निर्माण और इसका स्राव, बिलरुबिन, कोलेस्ट्रॉल, हार्मोन, दवा आदि का निस्तारण, वसा, प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट का पाचन व कई प्रकार के एंजाइमों को सक्रिय करता है।

लीवर द्वारा बनाया गया पित्त एक क्षारीय पदार्थ एल्केलाइन होता है। यह पेट के एसिड को कम करके एसिड से होने वाले नुकसान से बचाता है। पित्त से ही वसा का पाचन होता है। इसके बिना शरीर भोजन से वे विटामिन ग्रहण नहीं कर पाता जो वसा में घुलनशील होते है जैसे विटामिन ए, विटामिन डी, विटामिन ई, विटामिन के आदि।

विश्व हेपेटाइटिस डे पर फर्टिलिटी सॉल्यूशन मेडिकवर की निदेशक और वरिष्ठ चिकित्सक श्वेता गुप्ता का कहना है, सरल शब्दों में हेपेटाइटिस का अर्थ लिवर में सूजन है। अगर लिवर में सूजन या लिवर डैमेज होता है तो उसके काम करने की क्षमता प्रभावित होती है। हेपेटाइटिस बी असुरक्षित तरीके से शारीरिक संबध के माध्यम से भी फैलता है। हेपेटाइटिस बी के लिए टीके उपलब्ध हैं, लेकिन हेपेटाइटिस सी के लिए अभी कोई भी ऐसी सुविधा उपलब्ध नहीं हैं।

हेपेटाइटिस के वायरस पांच प्रकार के होते है, लेकिन हेपेटाइटिस बी का वायरस शुक्राणु गतिशीलता को कम करने और पुरुषों में प्रजनन क्षमता को कम करता है। महिलाओं में यह ट्यूबल और गर्भाशय बांझपन के जोखिम से जुड़ा हुआ है। यदि आपका साथी हेपेटाइटिस बी से पीड़ित है तो इसके जोखिम को कम करने के लिए आपको तुरंत किसी डॉक्टर से संम्पर्क करना चाहिए।

श्री बालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टीट्यूट की गैस्ट्रोएंटरोलॉजी और हेपेटोलोजी की वरिष्ठ सलाहकार मोनिका जैन ने कहा, भारत में हेपेटाइटिस फैलने का प्रमुख कारण मां से बच्चे में वायरस का संचारित होना है, संचरण के अन्य मार्ग असुरक्षित रक्त संक्रमण, प्रतिरक्षाविज्ञानी उत्पादों, असुरक्षित यौन, असुरक्षित सुइयां और सीरिंज हैं। इस बीमारी के सबसे आम लक्षणों में त्वचा या आंखों की सफेद हिस्से का पीला पड़ जाना, बुखार आना, थकान जो हफ्तों या महीनों के लिए बनी रहती है, भूख की कमी, मतली और उल्टी का आना है। इन लक्षणों को कभी भी अनदेखा नहीं किया जाना चाहिए।

धर्मशिला नारायणा सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल के सीनियर कंसलटैंट डॉ गौरव जैन ने कहा, हेपेटाइटिस बी का वायरस असुरक्षित यौन संबंध और संक्रमित व्यक्ति के शरीर से निकले किसी अन्य तरल पदार्थ से भी फैल सकता हैं। शरीर पर टैटू बनवाते समय भी यह संक्रमित सुई द्वारा शारीर में प्रवेश कर सकता है। जन्म के समय यदि मां के शरीर में ये वायरस है तो होने वाले बच्चे को भी हेपेटाइटिस होने की सम्भावना बनी रहती हैं।

पीएसआरआई अस्पताल के गैस्ट्रोएंटेरोलॉजी एंड हेपेटोलॉजी की वरिष्ठ सलाहकार डॉ नृपेन सैकिया ने कहा, हेपेटाइटिस बी और हेपेटाइटिस सी वायरस आमतौर पर क्रोनिक हेपेटाइटिस का कारण बनता है, जो लिवर सिरोसिस, लिवर कैंसर और मृत्यु तक का कारण बन सकता है। करीब 30 फीसदी लिवर सिरोसिस हेपेटाइटिस बी के कारण होता है। इसलिए हेपेटाइटिस बी एंड सी संबंधित लिवर रोगों की रोकथाम के लिए समय पर बीमारी का पता लगाना और जल्द उपचार अत्यंत महत्वपूर्ण है।

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