शिवराज से ‘अनशनकारी किसान की मौत’ का जवाब मांगेगा बुंदेलखंड
भोपाल/छतरपुर, 25 जुलाई (आईएएनएस)| मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जनता के बीच पहुंचकर सरकार की योजनाओं का प्रचार करने, उनकी समस्याएं जानने और पूरे प्रदेश से संवाद करने के लिए जन आशीर्वाद यात्रा निकाल रहे हैं।
बुधवार से उनकी बुंदेलखंड में यात्रा शुरू हो रही है। इस दौरान उनके सामने सबसे बड़ा सवाल एक किसान की आमरण अनशन के दौरान कथित मौत का मसला छाया रहेगा। देखना होगा कि वे किसान की मौत के मसले का किस तरह से जवाब देते हैं।
बुंदेलखंड भाजपा के मजबूत किलों में से एक है। यहां के 29 विधानसभा क्षेत्रों में से 23 पर उसका कब्जा है। यहां किसानों का पलायन, आत्महत्या, बेरोजगारी, सूखा की समस्या गंभीर रूप धारण किए है। कांग्रेस की नेतृत्व वाली सरकार ने वर्ष 2008 में छह जिलों के लिए बुंदेलखंड पैकेज के तहत लगभग 3,600 करोड़ रुपये की राशि दी मगर हालात नहीं बदले।
राज्य सरकार भोपाल में बैठकर किसानों की हालत बदलने, उन्हें तमाम तरह की सुविधाएं देने और सूखा राहत वितरण के बड़े दावे करती रहती है, मगर जमीनी हकीकत इससे इतर है।
यहां किसानों को मुआवजा नहीं मिला है। इसका प्रमाण छतरपुर जिले के राजनगर तहसील के डुमरा गांव है, जहां 14 जुलाई को राहत राशि वितरित होने का बुलावा भेजा गया, किसान पहुंचे मगर वितरण नहीं हुआ तो बुजुर्ग किसान मंगल सिंह यादव आमरण अनशन पर बैठ गए। उनकी लगातार तबियत बिगड़ी और मौत हो गई।
जिलाधिकारी रमेश भंडारी अनशन की बात को स्वीकारने को तैयार तक नहीं है, फिर भी उन्होंने जांच की जिम्मेदारी तहसीलदार को सौंपी है। बात यहीं नहीं रुकी। प्रशासन ने एक प्रेस रिलीज जारी कर बताया कि मंगल सिंह की आयु 90 वर्ष थी और वह लोक कल्याण शिविर में डुमरा आया था। वहीं चिकित्सालय का डिस्चार्ज टिकट बताता है कि मंगल सिंह की आयु 75 वर्ष थी।
जिला प्रशासन यह मान रहा है कि मंगल सिंह को 12,600 रुपये की सूखा राहत राशि मंजूर की गई है। इस राशि को जल्दी ही उनके बैंक खाते में ट्रांसफर किया जाएगा। सवाल उठ रहा है कि अब तो किसान जीवित ही नहीं तो राशि कौन पाएगा?
मंगल सिंह के नाती जगदीश व अन्य ग्रामीणों ने जिलाधिकारी की जनसुनवाई में 17 जुलाई को एक ज्ञापन सौंपकर हवाला दिया था कि उनके दादा की हालत बिगड़ रही है। वे आमरण अनशन पर है, उसके बावजूद किसी ने सुनवाई नहीं की।
राजनीतिक विश्लेषक रवींद्र व्यास का कहना है कि सरकार की योजनाएं बन रही है। प्रचार हो रहा है। अखबारों और चैनलों में बड़े-बड़े इश्तहार चल रहे हैं, मगर किसान के हाथ कुछ नहीं आ रहा है। किसान नाराज है। मंगल सिंह की मौत का मसला तो चर्चाओं में है ही, शिवराज जब यहां आएंगे तो उन्हें परोक्ष या अपरोक्ष रूप से जवाब देना तो पड़ेगा ही।
वहीं, विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने आमरण करने वाले किसान की मौत को गंभीर मसला मानते हुए दो विधायकों की समिति बनाई है। इसमें राजनगर विधायक विक्रम सिंह नाती राजा और खरगापुर विधायक चंदा सिंह गौर को शामिल किया गया है।
सिंह का कहना है कि किसान की मौत को न तो प्रशासन ने गंभीरता से लिया और न ही सरकार ने। एक किसान पांच दिन अनशन करता रहा, उसकी मौत हुई किसानों ने 10 घंटे प्रदर्शन किया लेकिन किसी ने सुध नहीं ली। यह दुखद है।
डुमरा क्षेत्र के किसानों ने तय किया है कि वे शिवराज की जन आशीर्वाद यात्रा का विरोध करेंगे। किसान गुलाब त्रिपाठी ने बताया कि सरकार चाहे जितने मुआवजे के दावे करे मगर आधे से ज्यादा किसानों को बीते साल के सूखा का राहत मुआवजा नहीं मिला है।
उनकी मुख्यमंत्री से मांग रहेगी कि वे घोषणा नहीं कुछ करके जाएं। इन किसानों की आवाज को शिवराज किस तरह शांत करते है। इस पर सब की नजर है। प्रशासन का डंडा चलेगा या शिवराज मदद देकर जाएंगे।