जरूरत पड़ी तो पीट-पीटकर हत्या पर कानून बनाएंगे : राजनाथ
नई दिल्ली, 24 जुलाई (आईएएनएस)| केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को एक बार फिर 1984 के सिख दंगों को मॉब लिचिंग की सबसे बड़ी घटना बताते हुए कहा कि केंद्र सरकार पीट-पीटकर हत्या की घटनाओं (मॉब लिचिंग) को बहुत गंभीरता से ले रही है और ‘अगर इन घटनाओं को रोकने के लिए जरूरत पड़ी तो’ कानून लाया जाएगा। राजस्थान के अलवर में एक पशुपालक को कथित रूप से गौरक्षकों द्वारा पीट-पीटकर मारे जाने का मुद्दा विपक्ष द्वारा लोकसभा में उठाए जाने पर राजनाथ ने कहा, मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि हम केवल चिंतित ही नहीं हैं, बल्कि घटनाओं को गंभीरता से ले रहे हैं।
राजनाथ सिंह ने कहा कि 1984 में लिंचिंग की सबसे बड़ी घटना हुई थी जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हजारों सिख मारे गए थे।
उन्होंने लेकिन, लिचिंग की घटनाओं का राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए। सर्वोच्च अदालत ने भी इस पर अपनी टिप्पणी की है।
गृह मंत्री ने कहा कि सरकार ने सोमवार को एक पैनल बनाया जो देश में भीड़ की हिंसा को रोकने के उपायों पर सुझाव देगा।
राजनाथ के अनुसार, गृह सचिव के नेतृत्व वाला पैनल चार सप्ताह के भीतर मंत्रियों के समूह को अपनी सिफारिशें देगा।
उन्होंने कहा, विचार-विमर्श के बाद हम निर्णय लेंगे कि इस तरह की घटनाओं के खिलाफ मजबूत कार्रवाई करने के लिए क्या करने की आवश्यकता है। अगर जरूरत पड़ी तो हम कानून लाएंगे।
उन्होंने कहा कि ऐसी घटनाएं पिछले कई सालों से हो रही हैं।
गृह सचिव आर.के गौबा की अध्यक्षता में अधिकारियों की समिति में न्याय विभाग, कानूनी मामलों, विधान और सामाजिक न्याय व सशक्तिकरण के सचिव भी सदस्य होंगे।
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी, कानून एवं न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद और सामाजिक न्याय एवं सशक्तिकरण मंत्री थवार चंद गहलोत भी इसके सदस्य हैं।
मंत्रियों का समूह (जीओएम) प्रधानमंत्री को अपनी सिफारिशें देगा।
लोकसभा में चर्चा के दौरान कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने मांग की कि सरकार को लिंचिंग की घटनाओं की जांच के लिए सर्वोच्च अदालत के एक न्यायाधीश की नियुक्ति करनी चाहिए।
अलवर लिंचिंग मामले का जिक्र करते हुए खड़गे ने कहा, पीड़ित (रकबर खान) की मौत में पुलिस की सीधी भागीदारी थी। जिन गौ रक्षकों ने मारपीट की, वे स्थानीय विधायक (रामगढ़ विधायक ज्ञान देव अहूजा) के समर्थक हैं।
लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने खड़गे को टोकटे हुए कहा कि जांच खत्म होने तक कोई आरोप नहीं लगाया जाना चाहिए।
खड़गे ने कहा, चूंकि राज्य (राजस्थान) सरकार प्रतिक्रिया नहीं दे रही है, इसलिए हम मांग करते हैं कि केंद्र को उच्चस्तरीय समितियों के अलावा लिंचिंग की घटनाओं की जांच के लिए सर्वोच्च अदालत के एक न्यायधीश की नियुक्ति करनी चाहिए।
लोकसभा उपाध्यक्ष एम. थंबी दुरई ने कहा कि कानून और व्यवस्था राज्य का विषय है, फिर भी राज्यों को ऐसी घटनाओं से निपटने के लिए पुलिस कर्मचारियों का आधुनिकीकरण करने के लिए केंद्र सरकार के समर्थन की आवश्यकता है।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) सांसद मोहम्मद सलीम ने कहा कि गाय की रक्षा और बच्चों को उठाने जैसी अफवाहों के आधार पर सड़कों पर भीड़ द्वारा फैसला करने का चलन निकल पड़ा है।
उन्होंने कहा, पिछले 10-12 सालों से देश में ऐसा वातावरण बनाया गया है और स्थिति खराब हो रही है। हमें इस तथ्य को स्वीकार करने की जरूरत है। घृणा की ऐसी घटनाएं पूरे देश में फैल रही हैं और यह बहुत खतरनाक है। यह केवल हिंदू-मुसलमान मुद्दा नहीं है या गाय संरक्षण का मामला नहीं है, स्वामी अग्निवेश पर भी हमला किया गया है।
उन्होंने कहा, अगर हम पीट-पीटकर हत्या करने के दोषियों को मालाएं पहनाते हैं और उनकी रक्षा करते हैं.. ऐसी घटनाएं पश्चिम बंगाल और त्रिपुरा में भी हो रही हैं, जो पहले कभी नहीं हुई थीं।