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अग्रिम जमानत बहाल करने का प्रयास करेंगे : उप्र सरकार

नई दिल्ली, 16 जुलाई (आईएएनएस)| योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली उत्तर प्रदेश सरकार ने सोमवार को सर्वोच्च न्यायालय को बताया कि अग्रिम जमानत के लिए कानूनी प्रावधान बहाल करने वाले एक विधेयक को विधानसभा में पेश किया जाएगा। यह कानूनी प्रावधान 1975 में आपातकाल के दौरान समाप्त कर दिया गया था। राज्य सरकार की ओर से पेश अधिवक्ता ऐश्वर्य भाटी ने न्यायमूर्ति एस.ए. बोबडे और न्यायमूर्ति एल. एन. राव की पीठ को बताया कि राज्य ने अग्रिम जमानत प्रावधान को संशोधित तरीके से दोबारा पेश करने का फैसला किया है।

इससे पहले शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार को अपराध प्रक्रिया संहिता (यूपी) संशोधन विधेयक 2010 को विधानसभा में पेश नहीं करने के लिए कड़ी फटकार लगाई थी। सितंबर 2011 में कुछ तकनीकी आधार पर राष्ट्रपति ने इसे वापस कर दिया था।

मायावती सरकार ने 2010 में अग्रिम जमानत मुहैया कराने के लिए विधानसभा में एक कानून पारित किया था, लेकिन तत्कालीन राष्ट्रपति ने कुछ स्पष्टीकरण मांगते हुए इसे सितंबर 2011 में राज्यपाल को वापस कर दिया था। उसके बाद से उत्तर प्रदेश सरकार ने संसोधित प्रस्ताव विधानसभा में पारित नहीं किया।

शीर्ष अदालत वकील संजीव भटनागर की तरफ से दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही है, जिसमें अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 438 की बहाली की मांग की गई है। इस धारा में गिरफ्तार होने वाले व्यक्ति को अग्रिम जमानत देने का प्रावधान है।

पीआईएल में कहा गया है कि वर्तमान स्थिति लोगों को कानून के समक्ष समानता के अपने संवैधानिक अधिकार से वंचित करती है। याचिकाकर्ता ने कहा कि अगर अदालत राज्य सरकार को निर्देश जारी करती है तो इससे जनता का व्यापक हित होगा।

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