जीवन को सुसंस्कृत बनाने की शिक्षा है योग : स्वामी निरंजनानंद
मुंगेर, 15 जुलाई (आईएएनएस)| आध्यात्मिक योगगुरु स्वामी निरंजनानंद सरस्वती का मानना है कि आज के दौर में योग की जो शिक्षा होती है, वह आसन आधारित शिक्षा है। कुछ लोग तो कहते हैं कि आसन ही योग है, लेकिन इस पद्धति में केवल आसन आधारित योग शिक्षा नहीं है, बल्कि योग जीवन को सुसंस्कृत बनाने और जीवन को व्यवस्थित करने की शिक्षा है। उन्होंने कहा कि सही अर्थो में संस्कार और जीवनशैली योग के द्वितीय सोपान के लक्ष्य हैं।
पद्मभूषण सम्मान से सम्मानित और मुंगेर स्थित बिहार योग विद्यालय के परमाचार्य स्वामी निरंजनानंद का कहना है कि अभी तक जो योग का प्रचार-प्रसार विश्व में हुआ है, उससे समाज या मनुष्य को भौतिक, शारीरिक रूप से लाभ की प्राप्ति हुई है, लोग तनाव व रोग मुक्त हुए हैं। उन्होंने कहा कि अब योग की यात्रा में दूसरा कदम लेना है। इस कदम में अपने जीवन को संस्कार से युक्त करना और अपने जीवन शैली को व्यवस्थित करना है।
उन्होंने कहा कि संस्कार और जीवन शैली योग के अगले सोपान हैं, जिस पर पिछले चार वर्षो से गंगा दर्शन में काम किया जा रहा है। इस वर्ष से योग के द्वितीय सोपान का व्यावहारिक प्रचार और प्रशिक्षण प्रारंभ हुआ है। उन्होंने कहा आईएएनएस से कहा कि यह वर्ष योग के लिए बहुत महत्वपूर्ण वर्ष है और योग के द्वितीय सोपान का प्रचार और प्रशिक्षण भारत के विभिन्न राज्यों में शिविरों के माध्यम से देना प्रारंभ कर दिया गया है।
उन्होंने बताया कि जनवरी से जून तक बिहार के 45 स्थानों सहित पूरे भारत में 400 शिविर आयोजित किए गए। महानगरों में भी जगह-जगह सम्मेलन आयोजित किए गए, जिसके तहत पूरे देश में छह योग सम्मेलन हुए। बोधगया के महाबोधि मंदिर में भी पर्यटन विभाग के अनुरोध पर दुनिया के 20 देशों के पर्यटकों के लिए योग प्रशिक्षण और परिचर्चा का आयोजन किया गया।
उन्होंने बताया कि अक्टूबर में मुंगेर में एक योगगोष्ठी का आयोजन किया जाएगा, जिसमें दुनियाभर के योग शिक्षक हिस्सा लेंगे। इसका मकसद उनके ज्ञान को अद्यतन करना है, शिक्षकों को तैयार करना है। उनका मानना है कि यह एक महत्वूपर्ण कार्यक्रम होगा।
स्वामी ने कहा, जब तक हम शिक्षक नहीं तैयार करेंगे, लोगों को क्या देंगे? यदि हम सम्मेलन करते हैं और 10-20 हजार की भीड़ आ भी जाती है और हमारे पास योग्य शिक्षक ही नहीं होंगे तो उन्हें देंगे क्या? हमने यह फैसला लिया कि पहले शिक्षक को दूसरे सोपान के लिए तैयार करें, इसके बाद अगले वर्ष से इसे व्यापक रूप से फैलाएंगे।
उन्होंने कहा कि विश्व में नए योग आंदोलन को लाने के लिए तथा संस्कार और जीवन शैली को आधार बनाने के लिए योग्य शिक्षक काफी महत्वपूर्ण हैं। गुरु पुर्णिमा के बाद इस दिशा में कार्य आरंभ कर दिया जाएगा और अगले वर्ष से योग के कई विधि और शिक्षाओं को सामने लाया जाएगा।
अध्यात्म योगगुरु ने जोर देकर आईएएनएस से कहा कि अगले साल से योग के क्षेत्र में परिवर्तन और एक नवीन क्रांति का उद्भव होनेवाला है। उन्होंने कहा कि मुंगेर ही एक ऐसा नगर है, जहां पर योग को हर व्यक्ति एक साधना और जीवनशैली के रूप में देखता है।
उनका कहना है, मुंगेर की भूमि ही आध्यात्मिक है। यहां पर एक परंपरा की शुरुआत हुई, जो व्यक्तिमूलक नहीं है, बल्कि योग संस्कृतिमूलक है। हमलोग योग से जुड़े हैं।