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फांसी की सजा भी दरिंदों के लिए कम : सिंधिया

जबलपुर, 14 जुलाई (आईएएनएस)| कांग्रेस की मध्य प्रदेश चुनाव प्रचार अभियान समिति के अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा है कि राज्य में महिलाओं से दुष्कर्म जैसी वारदातें तो हो ही रही हैं, अब मासूम बालिकाएं भी सुरक्षित नहीं हैं, मासूमों से दरिंदगी करने वालों को फांसी की सजा भी कम है।

जबलपुर में राजकृष्ण तन्खा फाउंडेशन द्वारा आयोजित ‘स्त्री सुरक्षा संवाद’ कार्यक्रम में शनिवार को सिंधिया ने कहा कि प्रदेश के मुखिया कहते हैं कि हमने फांसी पर लटकाने का कानून बना दिया है, वे 15 साल से सत्ता में हैं, आज जरूरत है कि महिलाओं को बेहतर सुरक्षा दी जाए और उनका सशक्तिकरण किया जाए।

सिंधिया ने ऐलान किया कि राज्य में कांग्रेस के सत्ता में आते ही पंचायत स्तर पर सिटीजन एक्शन कमेटी बनाई जाएगी। इन कमेटियों को पुलिस की तरह अधिकार दिए जाएंगे।

उन्होंने आगे कहा कि महिलाओं के सशक्तिकरण की नींव राजीव गांधी ने रखी थी, उन्हें अधिकार संपन्न बनाने की पहल की थी, क्योंकि जो महिला घर चला सकती है, वह देश भी चला सकती है।

सिंधिया ने कहा कि यह वह देश है, जहां नारी की पूजा की परंपरा रही है, मगर हम 21वीं सदी में पहुंचकर इतने लाचार हो गए हैं कि नारी को सुरक्षा नहीं दे पा रहे हैं, यह दुखदायी और दुर्भाग्यशाली दोनों है। कानून व्यवस्था इतनी सख्त होनी चाहिए कि महिला पर हाथ डालना तो क्या, उसकी तरफ कोई टेढ़ी नजर से भी न देख पाए।

सिंधिया ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी द्वारा महिला सशक्तिकरण के लिए उठाए गए कदमों का हवाला देते हुए कहा कि उनके प्रयासों का ही नतीजा था कि महिलाओं की राजनीति के क्षेत्र में भागीदारी बढ़ी। महिलाएं पंचायत से लेकर विधानसभा और लोकसभा तक पहुंचीं।

उन्होंने आगे कहा कि यह दुर्भाग्य की बात है कि महिला सरपंच चुनी जाती हैं, मगर कुर्सी उसका पति संभालता है, शिवपुरी जिले में जनप्रतिनिधियों के पतियों को अब बैठकों से बाहर कर दिया जाता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि जो महिला घर चलाती है, वह पंचायत, शहर, प्रदेश और देश को चला सकती है, उसे चलाने तो दीजिए।

सिंधिया ने नारी के महत्व का जिक्र करते हुए कहा कि इंदिरा गांधी ने कहा था कि एक पुरुष को शिक्षित करोगे तो सिर्फ एक पुरुष ही शिक्षित होगा, अगर नारी को शिक्षित करोगे तो पूरा परिवार शिक्षित होगा।

कार्यक्रम में सांसद विवेक तन्खा भी मौजूद रहे।

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