भारत ने कश्मीर पर जीद के पक्षपाती होने का आरोप लगाया
संयुक्त राष्ट्र, 10 जुलाई (आईएएनएस)| भारत ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयुक्त जीद राड अल हुसैन पर कश्मीर पर जारी उनकी रपट में ‘स्पष्ट रूप से पक्षपाती’ होने का आरोप लगाया और महासचिव एंटोनियो गुटेरेस की इस बात के लिए आलोचना की कि उन्होंने सशस्त्र संघर्ष में फंसे बच्चों पर अपनी रपट में अपने अधिकार क्षेत्र का अतिक्रमण किया है।
भारत के उप स्थायी प्रतिनिधि तन्मय लाल ने सोमवार को सुरक्षा परिषद से कहा कि जीद की तथाकथित रपट एक अधिकारी के स्पष्ट पक्षपात को दिखाती है, जिन्होंने सूचना के अपुष्ट श्रोतों पर विश्वास किया।
गुटेरेस के लिए उन्होंने कहा, हम महासचिव की रपट और इसमें वर्णित स्थितियों से निराश हैं, जो कि सशस्त्र संघर्ष या अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के रखरखाव के खतरे की परिभाषा से नहीं मेल खाती है।
रपट में जम्मू एवं कश्मीर, छत्तीसगढ़, झारखंड के बारे में बताया गया है।
सशस्त्र संघर्ष में बच्चे नामक रपट पर बहस के दौरान, लाल ने गुटेरेस का जिक्र उनके उपनाम के साथ किया, लेकिन जीद का न तो नाम लिया और न ही उनके उपनाम का जिक्र किया। इसके बावजूद यह स्पष्ट था कि उन्होंने पाकिस्तान की स्थायी प्रतिनिधि मलीहा लोधी के उद्धरण का खंडन करने के लिए जीद की ओर इशारा किया।
लोधी ने जीद की रपट का हवाला देते हुए कहा कि ’18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को हिरासत में लेने और उत्पीड़न करने के कई मामले हैं।’ इसके साथ ही उन्होंने सुरक्षाबलों द्वारा पैलेट गन का इस्तेमाल कर बच्चों को अंधा करने का भी जिक्र किया।
लोधी के आरोपों पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए लाल ने कहा, जीद की रपट का हवाला देना इस्लामाबाद द्वारा देश की संप्रभुता को कमजोर करने के लिए उनके द्वारा आतंकी संगठन का इस्तेमाल करने की वास्तविकता को छुपाने का ‘जानबूझकर किया गया प्रयास है।’
उन्होंने कहा, वे इस तरह के मुद्दे से हमारी चर्चा को भटकाना चाहते हैं। किसी भी मंच पर भविष्य में किया गया ऐसा कोई भी प्रयास सफल नहीं हुआ है।
जीद ने अपनी रपट में कश्मीर की स्थिति पर मानवाधिकार परिषद द्वारा अंतर्राष्ट्रीय जांच की बात कही थी।
इस रपट को पिछले सप्ताह समाप्त हुए मानवाधिकार परिषद के सत्र के समक्ष नहीं रखा गया और आम चर्चा के दौरान कम से कम छह देशों ने इसका विरोध किया।
गुटेरेस की रपट की आलोचना करते हुए लाल ने कहा कि वह 2001 में सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव द्वारा प्रदान किए गए ‘स्पष्ट अधिकार क्षेत्र’ से आगे निकल गए।
गुटेरेस की रपट पिछले माह जारी हुई थी, जिसमें सरकार और नक्सलियों, जैश-ए-मोहम्मद और हिजबुल मुजाहिदीन की ओलाचना की गई थी।
रपट में कहा गया था कि ‘सशस्त्र समूहों के विरुद्ध राष्ट्रीय सुरक्षा बलों की कार्रवाई में बच्चे लगातार मारे जा रहे हैं और घायल हो रहे हैं।’
रपट में कहा गया था कि ‘कुछ असत्यापित रपट’ इस ओर इशारा करती हैं कि राष्ट्रीय सुरक्षा बल बच्चों का इस्तेमाल ‘सूचना प्रदान कराने वाले और जासूसों’ के रूप में करते हैं।
रपट में हालांकि जैश-ए-मोहम्मद, हिजबुल मुजाहिदीन और नक्सलियों की भी बच्चों को संघर्ष के दौरान इस्तेमाल करने के लिए अपने समूह में शामिल करने का आरोप लगाया गया है, जो कि संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों और संकल्पों का उल्लंघन है।