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जीएसटी बिल को स्कैन करने वाला देश का पहला एप आइरिस पेरिडॉट लॉन्च

नई दिल्ली, 10 जुलाई (आईएएनएस)| वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के एक साल पूरा होने के मौके पर आइरिस बिजनेस सर्विसेज लिमिटेड ने मंगलवार को जीएसटी बिल और दस्तावेजों को स्कैन करने वाला देश का पहला एप ‘आइरिस पेरिडॉट’ लॉन्च किया। यह एप पलक झपकते ही जीएसटीआईएन आईडी की सत्यता को जांचता है और करदाता के रिटर्न फाइलिंग अनुपालन की स्थिति बता देता है।

बीएसई में सूचीबद्ध आइरिस बिजनेस सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड देश की अग्रणी जीएसटी सुविधा प्रदाता कंपनियों में से है। भारत की कई बड़ी कंपनियां अपनी जीएसटी फाइलिंग की जरूरतों के लिए आइरिस के प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करती हैं। जीएसटी को एक परिवर्तनकारी पहल मानते हुए आइरिस ने कारोबार को आसान बनाने और कर अनुपालन को बेहतर करने के लिए जीएसटी से जुड़े कई समाधान पेश किए हैं। आइरिस पेरिडॉट उन्हीं में से एक है।

पेरिडॉट एक ऐसा एप है, जिसकी मदद से कोई उपयोक्ता जीएसटी सिस्टम से प्रमाणित करते हुए तत्काल करदाता से जुड़ी विस्तृत जानकारी और कर अनुपालन की उसकी स्थिति का पता लगा सकता है। इसमें यूजर को काफी सहूलियतें मिलती हैं। यूजर इसकी मदद से अपने फोन के कैमरा से किसी भी इनवॉइस या दस्तावेज को स्कैन कर सकता है। इसके बाद यह एप एआइ/एमएल (आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस/मशीन लैंग्वेज) तकनीक का इस्तेमाल करते हुए उन दस्तावेजों पर लिखे हुए ढेर सारे शब्दों के बीच से जीएसटीआईएन की पहचान करता है और आइरिस जीएसपी एपीआइ कनेक्ट की मदद से करदाता के रिटर्न की विस्तृत जानकारी मुहैया करा देता है।

आइरिस बिजनेस सर्विसेज लिमिटेड द्वारा तैयार किए गए इस एप को गूगल प्ले स्टोर और एप्पल स्टोर से निशुल्क डाउनलोड किया जा सकता है।

आइरिस जीएसटी के बिजनेस हेड गौतम महंती ने कहा, आइरिस पेरिडॉट एप को जीएसटी से जुड़ी व्यग्रता कम करने और मन को शांत करने की शक्तियों के साथ तैयार किया गया है। पेरिडॉट सच्चे बी2बी लेनदेन को सुनिश्चित करने में मदद कर सकता है। आपके सामने वाले पक्ष के जीएसटीआईएन की सच्चाई का सीधा असर आपके इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) क्लेम पर पड़ता है। इसलिए जब आपके पास आसान रास्ता है, तो खतरा मोल लेने की क्या जरूरत है। पेरिडॉट की मदद से जीएसटीआईएन की सच्चाई जानिए।

आइरिस पेरिडॉट से सबसे ज्यादा फायदा लघु एवं मध्यम उद्यमों (एसएमई) को होगा। कारोबारियों के अलावा आम ग्राहक भी यह सुनिश्चित कर सकेंगे कि जिस वेंडर से वे खरीदारी कर रहे हैं, वह किस हद तक ईमानदार करदाता है। वे वेंडर का पिछला ट्रैक रिकॉर्ड देखकर इस बात की तसल्ली कर सकेंगे कि उन्होंने जिस कर का भुगतान किया है, वह सरकार के खजाने में जमा हो जाएगा।

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