एक साथ चुनाव कराने पर चर्चा बेकार की कसरत : जद (एस)
नई दिल्ली, 8 जुलाई (आईएएनएस)| जनता दल(सेकुलर) ने लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराए जाने के लिए विधि आयोग द्वारा आयोजित चर्चा को बेकार की कसरत बताते हुए रविवार को कहा कि सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) इसके जरिए सिर्फ ऐसे ही लोगों की प्रतिक्रिया ले रही है और उसका चुनाव प्रक्रिया में सुधार का कोई मकसद नहीं है।
जद (एस) के प्रवक्ता दानिश अली ने विधि आयोग द्वारा बुलाई गई बैठक में शामिल होने के बाद संवाददाताओं से कहा, हमने आयोग को स्पष्ट रूप से बता दिया है कि सबसे पहले सरकार विधि आयोग द्वारा अतीत में चुनाव सुधार पर की गई सिफारिशों पर विचार करे। सरकार ने अबतक एक भी सिफारिश को स्वीकार नहीं किया है।
विधि आयोग ने लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने पर आमने-सामने चर्चा करने के लिए सभी राजनीतिक पार्टियों को आमंत्रित किया था।
उन्होंने कहा, यह एक बेकार की कसरत है। एक संघीय लोकतंत्र में आप एक साथ चुनाव कराने के बारे में सोच भी नहीं सकते। चुनाव सुधार की श्रंखला में पहली और सबसे महत्वपूर्ण, राजनीतिक पार्टियों के व्यय की एक सीमा निर्धारित होनी चाहिए। लेकिन इसके बारे में कोई बात नहीं करता।
अली ने कहा, हमने इसे आज जब विधि आयोग के समक्ष रखा तो उन्होंने कहा कि सरकार ने इसका कोई संदर्भ नहीं दिया था और यह उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर है। इससे यह स्पष्ट रूप से दिखता है कि सरकार चुनाव सुधार को लेकर गंभीर नहीं है। भाजपा बस ऐसे ही लोगों की प्रतिक्रिया ले रही है।
उन्होंने कहा कि एक साथ चुनाव क्षेत्रीय दलों को स्वीकार्य नहीं होगा, क्योंकि इससे क्षेत्रीय पार्टियां समाप्त हो जाएंगी।
उन्होंने कहा कि एक साथ चुनाव कराने के समर्थकों द्वारा यह तर्क दिया जा रहा है कि आदर्श आचार संहिता से विकास कार्यो को बाधा पहुंचती है। जबकि आदर्श आचार संहिता मात्र 45 दिन लागू रहती है और सरकार के पास सभी विकास कार्य करने के लिए पांच साल में लगभग 1,500 दिन होते हैं।