मोदी सरकार ने स्वास्थ्य, शिक्षा क्षेत्र को नजरअंदाज किया : अमर्त्य सेन
नई दिल्ली, 8 जुलाई (आईएएनएस)| नोबेल पुरस्कार से सम्मानित अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने भारत के सबसे बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था होने के बावजूद देश में मौजूद विरोधाभास को रेखांकित करते हुए कहा कि 20 साल पहले इस क्षेत्र के छह देशों में भारत श्रीलंका के बाद दूसरा सर्वश्रेष्ठ था।
अब यह दूसरा सबसे खराब देश है। उन्होंने कहा, वर्तमान सरकार के दौरान हालात पिछली सरकार से ज्यादा खराब हो गए हैं। किसी भी सरकार ने स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र के लिए कारागार उपाय नहीं किए और तो और मोदी शासन में स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र को बिलकुल ही नजरअंदाज किया गया है और सरकार का पूरा ध्यान गलत दिशा में चला गया है।
सेन ने कहा, जब हमें भारत में कुछ अच्छी चीजों के होने पर गर्व होता है तो हमें साथ ही उन चीजों की भी आलोचना करनी चाहिए, जिनके कारण हमें शर्मिदा होना पड़ता है।
राजकमल प्रकाशन द्वारा प्रकाशित अमर्त्य सेन और ज्यां द्रेज की नई पुस्तक ‘भारत और उसके विरोधाभास’ पर परिचर्चा का आयोजन साहित्य अकादमी हॉल में किया गया था। इस दौरान अमर्त्य सेन और ज्यां द्रेज से वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार और सबा नकवी ने बातचीत की।
‘भारत और उसके विरोधाभास’ शीर्षक वाली किताब 2014 में अंग्रेजी में आई ‘एन अनसर्टेन ग्लोरी इंडिया एंड इट्स कंट्राडिक्शन’ का हिंदी अनुवाद है।
पुस्तक के सह-लेखक अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज ने कहा, पिछले कुछ वर्षो में भारत को सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बनने की अपनी खोज में कुछ सफलता मिली है। मगर यह सोचने वाली बात है कि सात प्रतिशत सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि के बावजूद ग्रामीण मजदूर की आय एक ही रही है, और फिर भी कोई इसके बारे में नहीं बोलता है।
उन्होंने कहा, अगर हम स्वास्थ्य सुविधाओं के बारे में बात करें, तो भारत आर्थिक रूप से आगे होने के बावजूद इस क्षेत्र में बांग्लादेश से भी पीछे है, और इसका प्रमुख कारण भारत में सार्वजनिक कार्रवाई में कमी है।