अमेरिका, चीन के बीच व्यापार युद्ध शुरू
बीजिंग, 6 जुलाई (आईएएनएस)| चीन और अमेरिका के बीच शुक्रवार को व्यापार युद्ध शुरू हो गया। दोनों पक्षों ने करीब 70 अरब डॉलर मूल्य के एक-दूसरे के सामानों पर अतिरिक्त शुल्क लगा दिया।
इस घटनाक्रम से वैश्विक आर्थिक सुधार बाधित हो सकता है।
चीन और अमेरिका विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएं हैं।
योजना के अनुसार, अमेरिका ने शुक्रवार को 34 अरब डॉलय मूल्य के चीन के 818 समानों पर कर लगाना शुरू कर दिया। अमेरिका ने यह कदम चीन के कथित तौर पर व्यापार कार्यो में चालाकी और अमेरिकी कंपनियों पर चीन में व्यापार करने के लिए अपनी तकनीकी को सौंपने के दबाव के मद्देनजर सजा के तौर पर उठाया है।
चीन ने इन आरोपों से इनकार किया है। चीन ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा शुक्रवार को चीनी सामानों पर योजना अनुरू लगाए गए करों पर उसी तरह से तेजी के साथ प्रतिक्रिया दी।
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लू कांग ने कहा, अमेरिका द्वारा अपने शुल्क लागू किए जाने के बाद चीन ने भी प्रभावी उपाय किए।
हालांकि, लू और चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने शुल्क के पैमाने के बारे में विवरण नहीं दिया। चीन की योजना 34 अरब डॉलर मूल्य के 545 अमेरिकी उत्पादों पर दंडात्मक तौर पर कर लगाने की है। इसमें सोयाबीन व खेल में प्रयोग होने वाले वाहन व व्हिस्की शामिल हैं।
अमेरिका द्वारा लगाए गए कर से चीन के उत्पादों जैसे औद्योगिक मशीनरी, चिकित्सा उपकरणों व ऑटो पार्ट्स पर अतिरिक्त 25 फीसदी शुल्क देना होगा।
चीन के शुल्क के प्रभावी होने के साथ ही दुनिया की दो बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच व्यापार युद्ध शुरू हो जाएगा।
मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने कहा, अमेरिका ने आर्थिक इतिहास में सबसे बड़ा व्यापार युद्ध शुरू किया है।
उन्होंने कहा, चीनी पक्ष अपने मूल राष्ट्रीय हितों व अपने लोगों के हितों को सुरक्षित रखने के लिए जवाबी कार्रवाई करने को बाध्य है।
चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा कि अमेरिका ने स्पष्ट तौर पर डब्ल्यूटीओ के नियमों का उल्लंघन किया है।
प्रवक्ता लू कांग ने कहा, यह निश्चित तौर पर वैश्विक व्यापार क्रम व वैश्विक बाजार में उथल-पुथल शुरू करेगा और आर्थिक सुधार में बाधा डालेगा।
उन्होंने कहा, ज्यादातर बहुराष्ट्रीय कंपनियां, एसएमईएस व सामान्य उपभोक्ता इससे प्रभावित होंगे और अमेरिका में बहुत-सी कंपनियां यह महसूस करती हैं कि उन्हें इसका परिणाम भुगतना होगा।
ट्रंप ने गुरुवार को अपनी लड़ाई से पीछे हटने का संकेत नहीं दिया और करीब 500 अरब डॉलर के चीनी सामानों पर शुल्क की लगाने की संभावना जाहिर की।
गार्डियन की रपट के मुताबिक, शुक्रवार के घटनाक्रम के बाद शंघाई कंपोजिट इंडेक्स 1.1 फीसदी गिर गया।
सीएनएन की रपट के मुताबिक, ट्रंप और उनके सलाहकारों का तर्क है कि चीन पर बौद्धिक संपदा की चोरी करने और अमेरिकी कंपनियों के महत्वपूर्ण तकनीक को सौंपने के लिए मजबूर करने जैसे अनुचित कार्यो को छोड़ने के लिए उस पर दबाव बनाने के लिए शुल्क जरूरी हैं।
व्हाइट हाउस शुल्क के अलावा चीनी नागरिकों के वीजा व निवेश पर प्रतिबंध लगा रहा है।