IANS

जीएसटी में गड़बड़ी से हवाला करोबार बढ़ा : अमित मित्रा

कोलकाता, 30 जून (आईएएनएस)| पश्चिम बंगाल के वित्तमंत्री अमित मित्रा ने शनिवार को दावा किया कि जीएसटी की स्वत: डिजीटीकृत प्रक्रिया की विफलता के कारण हवाला कारोबार में वृद्धि हुई है।

उन्होंने पिछले साल स्विस बैंक में भारतीयों की जमा रकम में भारी इजाफा होने की रपट आने के बाद यह बात कही है।

अमित मित्रा ने कहा, अत्यप्रत्यक्ष कर प्रणाली डिजाइन में जीएसटीआर-1 फॉर्म भरकर अपलिंक किया जाता है, जिसमें विक्रय मूल्य के आंकड़े होते हैं और जीएसटीआर-2 फॉर्म में खरीदे गए माल के आंकड़े होते हैं। ये दोनों खुद भरे जाते हैं।

वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के एक साल पूरे होने पर मित्रा ने फेसबुक लाइव पर कहा कि छोटा फॉर्म जीएसटीआर-3बी शुरू किया गया, मगर उस फॉर्म में इनवॉयस नहीं है।

मालूम हो कि अमित्र मित्रा जीएसटी परिषद के सदस्य हैं।

उन्होंने कहा, हमारा अध्ययन बताता है कि जीएसटीआर-3बी में इनवॉयस नहीं होने से न सिर्फ यह पूरी तरह हस्तचालित काम हो गया है, बल्कि इससे हवाला कारोबार में भी भारी वृद्धि हुई है, क्योंकि आप इसमें इनवॉयस नहीं लगाते हैं और इसकी जांच का कोई तरीका नहीं है।

स्विस बैंक में भारतीयों की जमा रकम में वृद्धि का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, जीएसटी की स्वचालित डिजिटीकृत प्रकिया की विफलता के कारण हवाला कारोबार में वृद्धि हुई है। इसपर कोई बात करना नहीं चाहता है।

मीडिया रपट के अनुसार, स्विस बैंक में पिछले तीन साल में लगातार भारतीयों के धन में इजाफा हुआ है और 2017 में स्विस बैंक में भारतीयों का धन उसके पिछले साल के मुकाबले 50 फीसदी बढ़ गया।

राज्यों के वित्तमंत्रियों की सशक्त समिति के अध्यक्ष रहे अमित मित्रा ने कहा, निर्यात रिफंड नहीं हो रहा है, इसलिए निर्यात की हालत खराब है। रिफंड से संबंधित कोई तीन लाख आवेदन लंबित हैं।

उन्होंने सवालिया लहजे में कहा, केंद्र सरकार की तिजोरी में दो लाख करोड़ रुपये क्यों पड़ा हुआ है। इसे लोगों को रिफंड किया जाना चाहिए।

मित्रा ने कहा कि उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने सैद्धांतिक रूप से जीएसटी को स्वीकार किया है, लेकिन बार-बार कहा है कि इसका कार्यान्वयन खराब रहा है।

उन्होंने कहा, जीएसटी परिषद के सदस्य के रूप में मैंने पिछले साल एक जुलाई को इसे लागू नहीं करने की अपील की थी और कहा था कि हम अव्यवस्था में फंस जाएंगे। सही मायने में हम अव्यवस्था में फंस गए हैं।

अमित मित्रा ने विमुद्रीकरण को भी विफल करार दिया। उन्होंने कहा, विमुद्रीकरण के समय चलन में कुल 18 लाख करोड़ रुपये थे, जबकि वर्तमान में चलन में 18.7 लाख करोड़ रुपये की नकदी है। लेकिन केंद्र सरकार कैस-लेस और लेस-कैस (अर्थव्यवस्था) की बात करती है।

मित्रा ने नरेंद्र मोदी सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि विकास दर में गिरावट के कारण जीडीपी का 1.5 लाख करोड़ रुपये सरकार ने गंवा दिया।

उन्होंने कहा कि केंद्रीय सर्तकता आयोग के आंकड़ों के अनुसार, 2016 में उससे पिछले साल की तुलना में भ्रष्टाचार 67 फीसदी बढ़ गया।

Show More

Related Articles

Back to top button
Close
Close