छग : 7 लाख 37 हजार 500 मूल्य के नकली नोट जब्त, 7 गिरफ्तार
महासमुंद, 28 जून (आईएएनएस/वीएनएस)। छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले में गुरुवार को पुलिस ने नकली नोट खपाने की नीयत से घूम रहे चार लोगों को गिफ्तार किया। बअना के आस-पास चार युवक नकली नोट खपाने की जुगत में थे। पुलिस ने चारों से 2000, 500 और 100 के कुल 7 लाख 37 हजार पांच सौ रुपये मूल्य के नकली नोट और एक वैन जब्त की है।
पुलिस आरोपियों के खिलाफ धारा 489 के तहत कार्रवाई कर उन्हें अदालत में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया।
महासमुंद पुलिस नियंत्रण कक्ष में पुलिस अधीक्षक संतोष सिंह ने बताया कि काफी दिनों से बसना क्षेत्र में नकली नोट खपाए जाने की जानकारी मिल रही थी। कार्रवाई के लिए क्राइम ब्रांच की टीम को निर्देशित किया गया था। बुधवार को बसना के पिरदा क्षेत्र में बिना नंबर की एक मारुति वैन पकड़ी गई, जिसमें चार लोग सवार थे।
उन्होंने बताया कि पूछताछ में आरोपियोंने अपना नाम गौतम कुमार (28), कृष्ण कुमार (23), चमरू पटेल (40) और मनमोहन दास (19) बताया। तलाशी लेने पर इनके पास से नकली नोट बरामद हुए।
एसपी के मुताबिक, आरोपी गौतम ने बताया कि वह बसना में ईंट बनाने का काम करता है। 5-6 माह पूर्व उसकी मुलाकात गोविंद बरिहा से हुई। उसने बलौदाबाजार निवासी ज्ञानदास से मुलाकात कराई जो नकली नोट छापने व खपाने का कारोबार करता था। ज्ञानदास ने ही उसे नकली नोट छापने के बारे में बताया था। इसके बाद उसने बिलखंड बसना निवासी कमल बरिहा के घर जाकर प्रिंटर मशीन से 2000, 500 और 100 रुपये के नकली नोटों की छपाई की व इसे खपाने के लिए बसना निवासी रूपानंद (27) और बिलखंड बसना निवासी सुरेंद्र चौहान को दिया और खुद भी नोट खपाने की फिराक में था।
संतोष सिंह ने ने बताया कि इनके पास से 2000 के 331 नोट, 500 के 58 तथा 100 के 465 यानी कुल 7 लाख 37 हजार 500 रुपये अलग-अलग आरोपियों से बरामद किए गए हैं।
उन्होंने बताया कि नकली नोट छापने में प्रयुक्त सामग्री, 6 माइक्रोमैक्स और सैमसंग मोबाइल, दो बंडल सफेद पेपर, दो नग स्याही, कटर, प्रिंटर व अन्य सामग्री सहित मारुति वैन जब्त की गई।
एसपी ने बताया कि मुख्य आरोपी गौतम बरिहा का बड़ा भाई भी नकली नोट छापने व खपाने के मामले में जेल में बंद है और नकली नोट छापने का हुनर सिखाने वाला ज्ञानदास भी बलौदाबाजार जेल में इसी मामले में बंद है। उन्होंने बताया कि आरोपियों को एक लाख नकली नोट खपाने के बदले बतौर कमीशन 20 हजार रुपये मिलते थे।