मानवता के खिलाफ अपराधों को कैसे रोक पाएगी सुरक्षा परिषद : भारत
संयुक्त राष्ट्र, 26 जून (आईएएनएस)| मानवता के खिलाफ अपमानजनक अपराधों से निपटने के सुरक्षा परिषद के तरीके पर संशय जाहिर करते हुए भारत ने सवाल उठाया है कि एक ‘सरासर गैर प्रतिनिधित्वकारी’ संस्था इन अपराधों को रोकने के लिए प्रभावी तरीके से कैसे कदम उठा सकती है।
‘हिफाजत की जिम्मेदारी : नरसंहार, युद्ध अपराध, जातीय संहार और मानवता के खिलाफ अपराध रोकथाम’ विषय पर सोमवार को महासभा की बहस में भाग लेते हुए भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने इसे सुरक्षा परिषद में सुधार करने का अवसर बताया। सुरक्षा परिषद संयुक्त राष्ट्र चार्टर के तहत एक संस्था है, जो ऐसे मामलों में देशों में हस्तक्षेप करने का आदेश दे सकती है।
उन्होंने कहा, अगर इस तरह की कोई संस्था इस विशाल अंतर्राष्ट्रीय समुदाय और समकालीन वैश्विक वास्तविकताओं का प्रतिनिधित्व नहीं करती है, तो क्या होता है।
अकबरुद्दीन ने कहा, अगर आम चुनौतियों को हल करने में इस तरह की किसी संस्था का रिकॉर्ड, और फलस्वरूप उसके औचित्य पर एक गंभीर प्रश्न खड़ा होता है, तो क्या होता है।
उन्होंने कहा, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के माध्यम से लागू होने वाली सामूहिक अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा की वर्तमान प्रणाली किसी सिद्धांत के क्रियान्वयन को अलग-थलग नहीं कर सकती, जैसे कि दोहरे मानकों, चयनात्मकता, मनमानापन और राजनीतिक लाभों के दुरुपयोग से बचाने की जिम्मेदारी।
अकबरुद्दीन ने कहा कि नरसंहार, युद्ध अपराध, जातीय सफाया और मानवता के खिलाफ अपराधों की एक आम परिभाषा निष्पक्ष रूप से विकसित की जानी चाहिए। साथ ही अंतर्राष्ट्रीय समुदाय द्वारा कार्रवाई के लिए क्या पैमाना रखा जाए और किस पर कार्रवाई करनी चाहिए, इसपर सहमत होना चाहिए।