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गोयल ने नोटबंदी घोटाला छिपाने नाबार्ड पर दबाव डाला : कांग्रेस

नई दिल्ली, 23 जून (आईएएनएस)| कांग्रेस ने शनिवार को वित्तमंत्री पीयूष गोयल पर आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष अमित शाह के नोटबंदी घोटाले को छिपाने के लिए उन्होंने नाबार्ड को बयान जारी करने को बाध्य किया। कांग्रेस ने नाबार्ड सहित मामले की ऑडिट रपट सार्वजनिक करने की मांग की। कांग्रेस ने भाजपा पर घोटालेबाजों को संरक्षण देने का आरोप लगाते हुए कहा कि महाराष्ट्र में एक और बैंक घोटाला प्रकाश में आया है, जिसमें डी. एस. कुलकर्णी (डीएसके) समूह ने 2,000 करोड़ रुपये का फर्जीवाड़ा किया है।

कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा, पीयूष गोयल ने नाबार्ड पर प्रेस को बयान जारी करने के लिए दबाव डाला। नाबार्ड की वेबसाइट पर जारी बयान भाजपा का बयान प्रतीत होता है, जिसमें सिर्फ अमित शाह का बचाव किया गया है।

उनका आरोप है कि नाबार्ड ने जानबूझकर सूचना का अधिकार (आरटीआई) के जरिए प्रकाश में आए तथ्यों को हटा दिया है, जिसमें 3,118.51 करोड़ रुपये मूल्य के पुराने नोट महज पांच दिनों के दौरान गुजरात के 11 सहकारी बैंकों में जमा होने का खुलासा हुआ है। उन्होंने कहा कि भाजपा के नेता इन बैंकों के साथ जुड़े हुए हैं।

खेड़ा ने कहा, भाजपा और इसके सहयोगियों द्वारा शासित राज्यों के जिला सहकारी बैंकों में महज पांच दिनों में सभी सहकारी बैंकों में जमा प्रतिबंधित नोटों का 64.18 फीसदी यानी 22,270.80 करोड़ रुपये मूल्य के नोट जमा हुए।

राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) द्वारा अहमदाबाद जिला सहकारी बैंक में नोटबंदी के दौरान भारी मात्रा में नोट जमा होने के मामले में भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी केवाईसी के दिशानिर्देशों का पालन होने का दावा किए जाने के एक दिन बाद कांग्रेस नेता का यह बयान आया है।

आईएएनएस ने आरटीआई के जरिए मिली जानकारी के आधार पर शुक्रवार को अपनी एक रपट में बताया था कि जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों में जिस बैंक में नोटबंदी के बाद सबसे ज्यादा प्रतिबंधित नोट जमा हुए थे, अमित शाह उस बैंक के निदेशक हैं।

खेड़ा ने कहा, गोयल ने ‘पीत पत्रकारिता’ का जिक्र करते हुए एक बयान ट्वीट किया है, जोकि संघ के इको-सिस्टम से सीधे लिया गया है और उन्होंने इस तरह की बचकानी बातें कर एक तिनका पकड़ने के लिए अथाह कड़ी मेहनत की है, जोकि आरएसएस-भाजपा के बौद्धिक जगत का एक हालमार्क है।

उन्होंने कहा, मोदी सरकार के लिए यह उचित होगा कि हमारे सरल सवालों का जवाब दे और जिला सहकारी बैंकों में प्रतिबंधित नोटों की जमा में बढ़ोतरी की पूरी जांच का आदेश दे।

उन्होंने गोयल से बतौर अस्थायी वित्तमंत्री मामले की निष्पक्ष जांच का आदेश देने की मांग की।

खेड़ा ने यह भी मांग की है कि नाबार्ड नोटबंदी के पांच दिनों के दौरान भारी मात्रा में प्रतिबंधित नोट जमा लेने वाले सहकारी बैंकों की ऑडिट रपट सार्वजनिक करे।

खेड़ा ने कहा कि आरटीआई कार्यकर्ता ने डीएसके समूह के घोटाले का पर्दाफाश किया, जिसमें समूह ने कई वित्तीय संस्थानों से 5,400 करोड़ रुपये उधार लिए और उसकी वापसी करने में विफल रहे।

उन्होंने कहा, कुलकर्णी आरएसएस और भाजपा से जुड़े रहे हैं। भाजपा की सरकार में यह 12वां बैंक घोटाला है।

उन्होंने कहा कि डीएसके समूह ने घर खरीदने का सपना देखने वालों और मियादी जमा करने वाले 8,000 लोगों को चूना लगाया है, जिनमें ज्यादातर वरिष्ठ नागरिक हैं।

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