दिल्ली : लैंड पूलिंग नीति में मनमाने बदलाव पर प्राधनमंत्री को पत्र लिखा
नई दिल्ली, 21 जून (आईएएनएस)| फेडरेशन ऑफ हाउसिंग सोसायटीज एंड डेवलपर्स इन दिल्ली ने डीडीए पर लैंड पूलिंग नीति में अनचाहे और अनैतिक बदलाव करने का आरोप लगाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा है। इसमें फेडरेशन ने प्रधानमंत्री से अपील की है कि वह डीडीए को पुरानी लैंड पूलिंग नीति को लागू करने का आदेश दें। फेडरेशन ने कहा कि इसकी वजह यह है कि नई लैंड पूलिंग नीति से दिल्ली में रहने वाले मध्यम वर्ग के लाखों लोगों को अपना घर नहीं मिल पाएगा। नीति में की गई छेड़छाड़ और मनचाहे बदलाव से मास्टर प्लान 2021 में जिन पांच जोन जे, के-1, एल, एन और पी-2 में उत्तरी दिल्ली में किफायती या अफोर्डेबल हाउसिंग की बात की गई है, वह संभव नहीं हो पाएगी।
डीडीए मुख्यालय आईएनए पर गुरुवार को एक दिवसीय धरना-प्रदर्शन करते हुए फेडरेशन ने मांग की कि अविलंब पुरानी नीति को लागू किया जाए और नई नीति में जो मनमाने बदलाव और गलत निर्णय थोपे गए हैं उन्हें वापस लिया जाए।
फैडरेशन ऑफ हाउसिंग सोसायटीज एंड डेवलपर्स इन दिल्ली उन सभी पंजीकृत हाउसिंग सोसायटीज का महासंघ या फेडरेशन हैं जो दिल्ली की लैंड पूलिंग नीति के अंतर्गत पंजीकृत हाउसिंग सोसयटी है।
फेडरेशन ऑफ हाउसिंग सोसायटीज एंड डेवलपर्स इन दिल्ली के सचिव सतीश अग्रवाल ने कहा कि केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय ने 5 सितंबर 2013 को लैंड पूलिंग नीति को अधिसूचित किया था। इसके बाद इसके क्रियान्वयन को लेकर 26 मई 2015 को नियम प्रस्तावित किए गए थे। लेकिन अब डीडीए ने मनचाहे तरीके से इस नीति में छेड़छाड़ करते हुए इसमें बदलाव का प्रस्ताव तैयार किया है। इसके प्रभावी होने पर आम आदमी की पहुंच से न केवल किफायती या अफोर्डेबल हाउसिंग दूर हो जाएगा बल्कि उन किसानों को भी अपनी जमीन का वास्तविक दाम नहीं मिल पाएगा जिन्होंने इन जोन में मास्टर प्लान 2021 के नियमों के तहत अपनी जमीन बेची है। इससे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सभी को 2022 तक घर देने की महत्वाकांक्षी योजना पर भी विपरीत प्रभाव होगा।
सतीश अग्रवाल ने कहा कि हमारी मांग है कि 5 सितंबर 2013 की नीति को लागू किया जाए। ऐसा नहीं होने पर किसान और डीई लैंड पूलिंग नीति में हिस्सा नहीं लेंगे। इससे सरकार का सभी को किफायती और अफोर्डेबल घर देने का सपना भी अधूरा रह जाएगा। कुछ लोगों के निजी स्वार्थ की वजह से यह योजना अधर में लटक सकती है। इस योजना में आम लोगों ने अपनी गाढ़ी कमाई के 35 हजार करोड़ रुपए से अधिक की राशि का निवेश किया हुआ है। ऐसे में उनके निवेश पर भी संकट उत्पन्न हो गया है। यह कैसा सबका साथ-सबका विकास है। यही सवाल हम डीडीए और केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय से कर रहे हैं।