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दृष्टिबाधित माता-पिता की बेटी को अपोलो में मिली नई रोशनी

नई दिल्ली, 11 जून (आईएएनएस)| नेपाल के रहने वाले एक दृष्टिबाधित दंपति ने अपनी चार महीने की बेटी को अंधेपन से बचाने के लिए भारत का रुख किया और आज उनकी बेटी देखने में सक्षम हो गई है। देख पाने में असमर्थ माता-पिता को जब पता चला कि उनकी चार माह की बेटी आंखों में ‘बाइलैटरल रेटिनोब्लास्टोमा’ है तो उन्होंने उसे दिल्ली के अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया, जहां उसका सफल ऑपरेशन हुआ। इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल की पीडिएट्रिक ओंकोलॉजी एवं हीमेटोलोजी की सीनियर कन्सलटेन्ट डॉ. अमिता महाजन ने बताया, कैंसर आसानी से फैलने वाली बीमारी है, जो शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकती है। रेटिनोब्लास्टोमा एक तरह का आई कैंसर हैं, जो आंख के रेटिना को प्रभावित करता है। रेटिना आंख की सबसे संवेदनशील परत है, जिसमें फोटोसेंसिटिव सेल्स होती हैं।

उन्होंने कहा, रेटिना रोशनी को लेकर ऑप्टिक नर्व की मदद से दिमाग तक सिग्नल भेजता है, तभी हम चीजों को देख पाते हैं। रेटिनोब्लास्टोमा एक दुर्लभ प्रकार का रेटिना कैंसर हैं, जो आमतौर पर बच्चों में पाया जाता है। वयस्कों में इसके मामले कम ही देखने में आते हैं। कुछ मामलों में पीडिएट्रिक रेटिनोब्लास्टोमा जानलेवा हो सकता है, हालांकि इसके सफल इलाज की संभावना 90 फीसदी होती है।

अस्पताल ने एक बयान में कहा, बच्ची संपदा के माता-पिता देख नहीं पाते हैं, जिस कारण बच्ची की आंखों में भी आनुवंशिक रूप से बीमारी आ गई। उसकी मां को भी एक तरह का आई कैंसर-रेटिनोब्लास्टोमा हो चुका था, जिसके चलते मां की नजर पूरी तरह से चली गई थी। उसके पिता, जन्म से ही देख नहीं पाते थे। मां बीमारी के बारे में जानती थी, इसीलिए वह उसे लेकर तुरंत अस्पताल पहुंची। जहां बच्ची को डॉ. अमिता महाजन की देखरेख में कीमोथेरेपी दी गई।

डॉ. अमिता ने बताया, संपदा के परिवार की कुल आय सिर्फ 5000 रुपये महीना थी। ऐसे में सैकड़ों मील दूर, दूसरे देश से बच्ची को इलाज के लिए भारत लाना उनके लिए बेहद मुश्किल था। पूरी कहानी सुनने के बाद इस परिवार को एक परोपकारी संगठन से जोड़ा गया, एडवाइजरी संस्था से बातचीत के बाद हमने परिवार को आने-जाने और यात्रा के खर्च का भारवहन करने में मदद की।

परिवार के मजबूत इरादे के चलते संपदा का इलाज सफल रहा। वह अब पूरी तरह से ठीक हो चुकी है, हालांकि अभी उसे नियमित रूप से जांच और फॉलोअप के लिए अस्पताल आना पड़ता है।

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