भारतीय अर्थव्यवस्था के 3 पहिए पंक्चर हो चुके हैं : चिदंबरम
नई दिल्ली, 11 जून (आईएएनएस)| पूर्व केंद्रीय वित्तमंत्री पी. चिदंबरम ने सोमवार को यहां कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था के चार में से तीन पहिए पंक्चर हो चुके हैं और भारतीय जनता पार्टी की ‘प्रशासनिक अक्षमता’ और ‘नीतिगत चूक’ बढ़ते कृषि संकट, बेरोजगारी और अर्थव्यवस्था की विफलता के लिए जिम्मेदार है। उन्होंने संवाददाताओं से कहा, चार पहियों में से तीन पहिए, जिन पर अर्थव्यवस्था चलती है, वे पंक्चर हो चुके हैं। सबसे पहले निर्यात की बात करें तो इसकी पिछले चार वर्षों में वृद्धि दर नकारात्मक रही है। दूसरा, निजी निवेश में उदासीनता है। सकल सावधि पूंजी निर्माण (जीएफसीएफ) तीन साल से 28.5 फीसदी पर रुका हुआ है।
उन्होंने कहा कि एकमात्र टायर जो ठीक है, वह सरकारी व्यय है।
उन्होंने कहा, लेकिन यहां भी चालू खाता घाटा (सीएडी) और राजकोषीय घाटा (एफडी) पर दबाव के कारण सरकार के विकल्प सीमित हो रहे हैं।
चिदंबरम के अनुसार, मुझे नहीं लगता कि वैश्विक अर्थव्यवस्था की स्थिति भारत को प्रभावित कर रही है। जो प्रभावित कर रहा है, वह हमारी खुद की नीतिगत चूक, लापरवाही वाले निर्णय और प्रशासनिक अक्षमता है।
चिदंबरम ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक के सर्वेक्षण में कहा गया है कि 48 प्रतिशत लोगों ने महसूस किया है कि पिछले 12 महीनों में देश की आर्थिक स्थिति बदतर हुई है।
उन्होंने कहा, सर्वेक्षण में देश के सबसे पिछड़े हिस्सों या सबसे वंचित वर्गों के लोगों को कवर किया गया है। इसलिए, 48 प्रतिशत की संख्या वास्तव में और अधिक हो सकती है।
वरिष्ठ नेता ने कहा कि अर्थव्यवस्था की विकास दर के एक अंश पर भी कृषि आय बढ़ रही नहीं है और पिछले तीन-चार वर्षों से कृषि मजदूरी स्थिर है।
चिदंबरम ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने की योजना पर चुटकी लेते हुए कहा, इन दरों पर किसानों की आय दोगुनी करने के लिए 14 साल लगेंगे।
वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने संवाददाताओं से कहा, किसानों की निराशा गुस्से में बदल गई है और वे विरोध के लिए सड़कों पर आ गए हैं।
उन्होंने कहा, कृषि उपज और कृषि श्रम की कमतर मजदूरी का प्रमुख कारण अनौपचारिक मूल्य है। एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) पर्याप्त नहीं है। हर किसान जानता है कि एमएसपी लागत का 50 प्रतिशत का वादा एक जुमला है।
उन्होंने कहा कि देश में बेरोजगारी बढ़ी है, जो भाजपा के एक साल में दो करोड़ रोजगार मुहैया कराने के वादे से बिल्कुल जुदा है।
चिदंबरम ने सवालिया लहजे में पूछा कि अक्टूबर-दिसंबर 2017 के लिए श्रम ब्यूरो के सर्वेक्षण को जारी क्यों नहीं किया गया?
भगोड़े व्यापारी नीवर मोदी, विजय माल्य के बारे में चिबंदरम ने कहा, मुझे पता है, उन्होंने (सरकार) ने दोनों को वापस लाने के लिए कोई प्रयास नहीं किए हैं। मुझे संदेह है कि वास्तव में वे कोई प्रयास कर रहे हैं। हमारा रुख यह है कि उन्होंने दोनों सज्जनों को देश छोड़ने की अनुमति दे दी।
चिदंबरम ने कहा कि नोटबंदी के कारण 2015-16 में विकास दर 8.2 प्रतिशत से घटकर 2017-18 में 6.7 प्रतिशत रह गई।
उन्होंने कहा, तमिलनाडु सरकार ने आधिकारिक तौर पर स्वीकार किया है कि 2017-18 के दौरान राज्य में 50,000 एमएसएमई इकाइयां बंद हो गईं, पांच लाख नौकरियां छिन गईं और एमएसएमई क्षेत्र में पूंजीगत निवेश में 11,000 करोड़ रुपये की गिरावट आई।
उन्होंने कहा कि दोषपूर्ण वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की वजह से व्यापार का प्रभावित होना जारी है।
चिदंबरम ने कहा कि सामाजिक सुरक्षा कानूनों और कार्यक्रमों को भाजपा की अगुवाई वाली केंद्र सरकार ने उपेक्षित कर दिया है।
उन्होंने कहा, खाद्य सुरक्षा अधिनियम लागू नहीं किया गया। मनरेगा अब मांग संचालित नहीं है, वेतन बकाया राशि बढ़ी है। बमुश्किल 30 फीसदी किसानों को ही फसल बीमा का लाभ मिल रहा है। यह बीमा कंपनियों के लिए अप्रत्याशित है। स्वास्थ्य सुरक्षा योजना एक और जुमला है।
चिदंबरम ने कहा कि पेट्रोल, डीजल और एलपीजी की कृत्रिम रूप से तय कीमतों पर भी गुस्सा है।
उन्होंने कहा, मई-जून 2014 में जो कीमतें थीं, उससे आज कीमतें अधिक क्यों हुईं। इसका कोई कारण नहीं है। यह कुछ नहीं केवल असहाय उपभोक्ता को परेशान करना है।
उन्होंने कहा कि अगर पेट्रोलियम उत्पादों को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के दायरे में लाया जाता है तो उनकी कीमतें तुरंत कम हो जाएंगी।