फीफा विश्व कप में वीएआर से बढ़ सकती है रेड कार्ड की संख्या
लंदन, 11 जून (आईएएनएस)| पिछली बार 2014 में आयोजित हुए विश्व कप टूर्नामेंट में 32 टीमों के बीच खेले गए मैचों में केवल 10 रेड कार्ड नजर आए थे, लेकिन इस बार रूस में होने वाले फीफा विश्व कप में वीडियो असिस्टेंट रेफरींग (वीएआर) प्रणाली को शामिल किए जाने के बाद रेड कार्ड की संख्या बढ़ सकती है। एक नए शोध से पता चला है कि वास्तविक समय की तुलना में धीमी गति में वीडियो देखते हुए फुटबाल रेफरी परिस्थितियों को और अधिक गंभीरता से ले सकते हैं।
ऐसा माना गया है कि वीडियो का स्लो मोशन देखने के बाद वास्तविक समय की तुलना में रेफरियों द्वारा अधिक रेड कार्ड दिए गए हैं। इस शोध को कोगनिटिव रिसर्च : प्रिंसिपल्स एंड इंप्लिकेशन में प्रकाशित किया गया है।
साल 2006 में सबसे अधिक 28 रेड कार्ड खिलाड़ियों को दिए गए थे। इसके बाद, 2010 में 17 रेड कार्ड दिखाए गए थे।
रेड और येल्लो कार्ड की संख्या को देखा जाए, तो 2006 का विश्व कप इस मामले में ऐतिहासिक था। इसमें 1970 से लेकर 2014 तक आयोजित विश्व कप में सबसे अधिक 28 रेड कार्ड और सबसे अधिक 345 यलो कार्ड दिखाए गए थे।
इसके बाद, 2010 (17 रेड कार्ड, 261 येलो कार्ड) और 2014 (10 रेड कार्ड, 187 येलो कार्ड) में रेड और येल्लो दोनों कार्डो की संख्या घटी। 1970 में केवल 52 येल्ले कार्ड दिखाए गए थे, लेकिन रेड कार्ड एक भी नहीं था।
ऐसे में इस पर किए गए शोध पर बेल्जियम में ल्यूवेन यूनिवर्सिटी से लेखक जोआचिम स्पिट्ज ने कहा, स्लो मोशन वीडियो को देखे जाने से फाउल की पहल किसने की, यह साफ तरीके स्पष्ट हो सकता है। हालांकि, इसमें खिलाड़ी की भावना को पहचान पाना थोड़ा मुश्किल है कि उसने यह अनजाने में किया या जानबूझ के। अदालत में धीमी गति के वीडियो का इस्तेमाल न होने के पीछे का एक कारण यह भी हो सकता है।
इस शोध के लिए शोधकर्ताओं ने 88 उच्च स्तरीय फुटबाल रेफरियों की येलो कार्ड के संदर्भ में वीडियो पर प्रतिक्रिया ली।
स्पिट्ज ने कहा, हमारे शोध के परिणामों से यह सामने आया है कि धीमी गति से देखे गए वीडियो रेफरियों द्वारा लिए गए फैसले की गंभीरता को बढ़ा सकता है। ऐसे में यल्लो कार्ड और रेड कार्ड के बीच के अंतर को साफ समझा जा सकता है।
उन्होंने कहा, इन अध्ययनों से यह भी पता चला है कि धीमी गति से देखे गए वीडियो के बाद रेफरियों द्वारा अधिक गंभीर रूप से निर्णय लेने की संभावना अधिक होती है, जो दुनिया भर में फुटबाल लीगों में वीएआर के कार्यान्वयन के लिए दिशा-निर्देश विकसित करने के लिए एक महत्वपूर्ण विचार है।
लेखकों का मानना है कि फुटबाल के खेल में गेंद के ऑफ-साइड जाने और गेंद के संपर्क को पहचानने के लिए वीएआर बहुत ही अहम उपकरण साबित हो सकता है, लेकिन इंसान के व्यवहार या उसके इरादे से संबंधित फैसलों के लिए यह उपकरण बिल्कुल सही साबित नहीं हो सकता।