बुंदेलखंड में मछुआरों ने तालाब का पानी लुटने से बचा लिया
छतरपुर, 11 जून (आईएएनएस)| बुंदेलखंड में इन दिनों बूंद-बूंद पानी के लिए मशक्कत करनी पड़ रही है, मगर छतरपुर जिले के घुवारा विकासखंड के चार गांवों के मछुआरों की सजगता और संघर्ष ने प्रशासन के सहयोग से ‘नया तालाब’ के पानी को दबंगों की लूट से बचाने में कामयाबी हासिल की है, यही कारण है कि सूखे बुंदेलखंड में यह तालाब आमजन से लेकर मवेशियों तक की जरूरत को पूरा कर रहा है।
जिला मुख्यालय से लगभग 80 किलोमीटर दूर बसा है घुवारा कस्बा। यहां का हाल भी बुंदेलखंड के अन्य हिस्सों जैसा है। लोगों की जिंदगी इन दिनों पानी के इर्द-गिर्द ही घूम रही है। इसी इलाके में लगभग 100 एकड़ में बना है नया तालाब। यह तालाब सैकड़ों साल पुराना है, मगर नया तालाब के नाम से पुकारा जाता है। यह तालाब हर साल गर्मियों में सूख जाया करता था, मगर इस बार ऐसा नहीं हुआ।
मछुआरा समिति के अध्यक्ष गुमना रैकवार ने आईएएनएस को बताया, इस तालाब से लगभग पांच गांव कंदवा गांव, मड़ीखेरा, कवइयन, कुंदलया और कुसाई के मछुआरों की जिंदगी चलती है। सिंघाड़ा और मछली पालन से उनकी आय होती है। हर साल गर्मी आते ही दबंग लोग पंप लगाकर तालाब का सारा पानी अपनी खेती के लिए खींच लिया करते थे, मगर इस बार सभी मछुआरा लामबंद हुए और पंप नहीं लगने दिए।
सामाजिक कार्यकर्ता उत्तम यादव ने बताया, यहां पानी पंचायत और परमार्थ संस्था ने मिलकर तालाब को बचाए रखने का अभियान चलाया, इसमें बड़ा मलेहरा के अनुविभागीय अधिकारी, राजस्व (एसडीएम) राजीव समाधिया का सहयोग रहा, जिसके चलते इस बार दबंग लोग तालाब में पंप नहीं लगा पाए, जिससे तालाब में आज भी पानी है। बीते सालों में यहां के दबंग तालाब में पंप लगाकर पानी खींचकर अपने खेतों की सिंचाई कर लेते थे। इस बार ऐसा नहीं हुआ, यही कारण है कि बारिश के न होने पर भी एक माह तक पानी की दिक्कत नहीं आएगी।
धनीराम रैकवार की मानें तो इस ऐतिहासिक तालाब का रखरखाव न होने के कारण बारिश का बहुत सा पानी बह जाता है। इसकी निकासी स्थलों की मरम्मत करा दी जाए, तो इस तालाब में पूरे साल काफी पानी रहेगा। इसका लाभ आसपास के लोगों को तो होगा ही, साथ ही मछुआरा समाज बहुल गांव के परिवारों की जिंदगी ही बदल जाएगी।
मछुआरा समुदाय की पानी को बचाने की जिद और प्रशसन के सहयोग ने ऐतिहासिक तालाब को पानीदार बना रहने दिया, जिसके चलते सूखे की मार का ज्यादा असर यहां के लोगों की जिंदगी पर नहीं पड़ा है। समूचे बुंदेलखंड के लोग इसी तरह जाग जाएं और पानी संरक्षण के साथ उसकी लूट को रोकने में कामयाब हों तो यहां की तस्वीर बदलने में ज्यादा वक्त नहीं लगेगा।